पिछले छह महीने में पीएम का चौथा गुजरात दौरा, जानिए क्या हैं मायने
साबरमती आश्रम अहमदाबाद के निकट साबरमती नदी के किनारे पर स्थित है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पीएम मोदी ने गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को बर्दाश्त ना होने वाली घटना बताते हुए कहा कि किसी भी शख्स को कानून अपने हाथों में लेने का हक नहीं है। साबरमती आश्रम की सौवीं वर्षगांठ के मौके पर कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि देश में इस तरह की हिंसा बंद होनी चाहिए। गौरक्षा पर भावुक हुए पीएम का कहना था कि गाय की रक्षा और गौ की भक्ति महात्मा गांधी, विनोबा जी से बढ़कर कोई नहीं कर सकता है। देश को उसी रास्ते पर चलना होगा।
छह महीने में पीएम मोदी का चौथा गुजरात दौरा
नरेन्द्र मोदी ने 2014 के मई में जब से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है उसके बाद से वह अब तक 13 बार दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा, इस साल फिर गुजरात में यह प्रधानमंत्री मोदी का चौथा दौरा है, जहां वे साबरमती आश्रम की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। ऐसे में यह बहुत ही स्वभाविक सा सवाल मन में उठता है कि क्या है साबरमती आश्रम का इतिहास और पीएम लगातार गुजरात का क्यों इतना दौरा करते हैं? आइये हम आपको इसका कारण और इस बारे में क्या सोचते हैं राजनीतिक जानकार वह आपको बताते हैं।
साबरमती आश्रम का गांधी से रिश्ता
साबरमती आश्रम अहमदाबाद के निकट साबरमती नदी के किनारे पर स्थित है। गांधीजी ने स्वतंत्रता और साथ ही समाज के उत्थान की सभी प्रमुख गतिविधियों का संचालन इसी आश्रम से किया, जो कि विख्यात रूप से साबरमती आश्रम के रूप में जाना जाता था। साबरमती आश्रम की स्थापना महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से आने के बाद साल 1917 में अहमदाबाद के कोचरब में की गई थी।
इतिहासकारों का यह मानना है कि पौराणिक दधीचि ऋषि का आश्रम भी यहीं पर था। गांधीजी ने स्वतंत्रता और साथ ही साथ समाज के उत्थान की सभी प्रमुख गतिविधियों का संचालन इसी आश्रम से किया, जो कि विख्यात रूप से साबरमती आश्रम के रूप में जाना जाता था। अंत में, 12 मार्च 1930 को नमक कानून को तोड़ने के लिए दांडी यात्रा के लिए रवाना होने से पहले वह इस आश्रम में कई वर्षों तक रहे। दांडी यात्रा शुरू करने से पहले गांधी जी ने घोषणा की थी कि वे इस आश्रम में देश की स्वतंत्रता से पहले नहीं लोटेंगे।
प्रधानमंत्री का गृह क्षेत्र है गुजरात
दरअसल, प्रधानमंत्री बनने से पहले तक नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, सीधा गुजरात से लोकसभा में भारी जीत के बाद 2014 में देश की कमान संभाली थी। उसके बाद से लगातार वह देश की सेवा में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वह दुनिया के चाहे भले ही किसी भी कोने में हों लेकिन गुजरात उनकी प्राथमिकताओं में रहता है। Jagran.com से खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने बताया कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार गुजरात को तवज्जो देकर वहां का दौरा कर रहे हैं। उसकी वजह है वहां के लोगों को अहमियत देना। उनका मानना है कि गुजरात के लोगों में ऐसा संदेश ना जाएं कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने गुजरात को पहले के मुकाबले अब तवज्जो देना कम कर दिया है।
विधानसभा चुनाव है महत्वपूर्ण फैक्टर
इस साल के आखिर में गुजरात का विधानसभा चुनाव होना है। जहां एक तरफ भाजपा वहां पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के दौरे से पार्टी को एक नई ऊर्जा देने की कोशिश की जा रही है। प्रदीप सिंह का मानना है कि पीएम मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद भाजपा के लिए जो पिछले दिनों जिस तरह की कठिन परिस्थिति बनी वह चाहे बात आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री को पद से हटाना हो या फिर हार्दिक पटेल का मामला उसके बाद पार्टी अब किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि पार्टी लगातार अपने तेवरों को धार देने में लगी है।
भाजपा का 150 सीटें जीतने का लक्ष्य
भारतीय जनता पार्टी ने मोदी की अगुआई में लड़े पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में 128 सीटों पर शानदार जीत हासिल की थी। लेकिन, इस बार भाजपा ने छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में 182 में से 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। अमित शाह अपने हर कार्यक्रम के दौरान गुजरात दौरे में यही बात कहते है कि मोदी जब मुख्यमंत्री थे तो 128 सीट दिलाई थीं। अब जब वे देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उनको 150 सीट का तोहफा देकर उनका मान बढ़ाना चाहिए।
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