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जानें, डेरा प्रमुख राम रहीम क्यों कहता था सब काल की माया

राम रहीम की कहानी अब काली हो चुकी है। अपने समर्थकों के परलोक को सुधारने का दावा करने वाले डेरा प्रमुख का इहलोक अब अदालत के हाथों में है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 11 Sep 2017 03:09 PM (IST)Updated: Mon, 11 Sep 2017 07:34 PM (IST)
जानें, डेरा प्रमुख राम रहीम क्यों कहता था सब काल की माया
जानें, डेरा प्रमुख राम रहीम क्यों कहता था सब काल की माया

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अपने आपको पिताजी कहने वाला, खुद को भगवान बताने वाला डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह अब जेल में है। 28 अगस्त 2017 से पहले वो अपने भक्तों के लिए सभी मर्ज का इलाज था। लेकिन पंचकुला की विशेष सीबीआइ अदालत ने अपने फैसले के जरिए ये बता दिया कि वो एक मुजरिम है, जिसके जुर्म का इलाज कोर्ट के हाथ में है। सीबीआइ की विशेष अदालत ने राम रहीम को 10-10 साल की सजा सुनाई। डेरा प्रमुख राम रहीम रोहतक के सुनारिया जेल में है। जेल में वो गुमशुम रहता है, दूसरों के चेहरे में खुशी बिखेरने का दावा करने वाला राम रहीम अब जेल में परेशान रहता है। इन सबसे इतर उसके डेरे का राजफाश करने के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच तीन दिन तक जांच की गई।

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इस जांच में बहुत कुछ ऐसी चीजें सामने आईं या दिखाई दीं, जिससे साफ है कि कलयुगी राम रहीम अपने भक्तों की परेशानियों को दूर करने के नाम पर वो घिनौने काम करता था, जो किसी संत के द्वारा अपेक्षित नहीं है। राम रहीम के बारे में हर रोज कुछ न कुछ सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं, लेकिन इससे पहले आप को बताते हैं कि तीन दिन तक डेरे की खोज में कोर्ट कमिश्नर को क्या मिला।

 

पहले दिन की कार्रवाई

- पूरे सर्च ऑपरेशन की वीडियोग्राफी की गई। इसके लिए 60 फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर लगाए गए थे। डेरे के कुछ रहस्यमयी ठिकानों के तालों को तोड़ने के लिए 60 लोहार भी ड्यूटी पर लगाए गए थे। 

- पहले दिन के ऑपरेशन में कई राज सामने आए। इस दौरान संदिग्ध हालत में पांच लड़के मिले। इनमें से दो नाबालिग बच्चों को बाल संरक्षण टीम को सौंप दिया गया व अन्य तीन को पुलिस ने अपनी निगरानी में लिया।

- डेरे में कंट्रोल रूम और तीन कमरों को सील किया गया। भारी मात्रा में पुरानी करंसी बरामद हुई। पुरानी करंसी से भरे दो कमरों को सील किया गया।

- कंट्रोल रूम में रिकॉर्डिंग की मशीन पाई गई। इसे सील कर दिया गया।

- डेरे की फार्मेसी में भारी मात्रा में बिना लेबल की दवाएं मिलीं। ये आयुर्वेदिक दवाएं बताई जाती हैं। इन्हें सील कर जांच के लिए भेजा गया।

- सर्च ऑपरेशन के दौरान गुरमीत राम रहीम की गुफा सहित पूरे डेरे में गहन जांच की गई। शाम को उत्तराखंड के रुड़की से फोरेंसिक टीम को भी बुलाया गया। कई हार्ड डिस्क और कंप्यूटर कब्जे में लिए गए।

- एक वॉकी टाकी भी जब्त किया गया। 

- लुप्त प्राय जानवरों के मिलने का शक, एमएसजी फैशन मार्ट की तलाशी हुई।

- बिना नंबरों की एक ओबी वैन और लेक्सस कार भी बरामद की गई है। इन्हें थाने लाया गया।

 

दूसरा दिन, सर्च ऑपरेशन और कार्रवाई

- गुरमीत राम रहीम की बहुचर्चित गुफा के कई राज खुले। इस आलीशान महल से गर्ल्स हॉस्टल और साध्वी निवास तक जाने वाला गुप्त रास्ता मिला। इसके साथ हथियार होने के सबूत मिले।

- गुफा में एके 47 राइफल की मैगजीन के खाली बाक्स मिले।

- डेरा में विस्फोटक और पटाखा बनाने की फैक्टरी मिली। भारी मात्रा में विस्फोटक और पटाखे बरामद हुए। पटाखे 84 बड़े कागज के डिब्बों में रखे हुए थे।

- एक कोठी से 21 बोतल केमिकल मिला। डेरे में चार आरा मशीन भी मिलीं। इनमें से दो बिना लाइसेंस चल रही थीं। दोनों मशीनों को सील कर दिया गया।

- डेरे में चलने वाले माही थियेटर की मशीनें भी सील कर दी गईं। यह सिनेमा हॉल बिना लाइसेंस के चलाया जा रहा था।

- गुरमीत राम रहीम की गुफा की तीसरी मंजिल पर 50 फीट क्षेत्र में खुदाई भी की गई। यहां नई मिट्टी डाले जाने व पहले खुदाई करने के निशान मिले थे।

- हनीप्रीत के कमरे से मिले लक्जरी आइटम। सर्च अभियान में हनीप्रीत के कमरे से बड़ी संख्या में लक्जरी आइटम बरामद किए गए।

- डेरे के अस्पताल की तलाशी के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 2015 से लेकर अब तक का रिकार्ड खंगाला।

- डेरे के अस्पताल में मिला गर्भपात केंद्र। इसमें गर्भवती महिलाओं और युवतियों का अल्ट्रासाउंड परीक्षण के बाद होता था गर्भपात।


तीसरे दिन की कार्रवाई

- डेरे में सर्च ऑपरेशन के तीसरे दिन कई जगह खुदाई की गई। दो सेक्टरों में विशेष तौर पर जांच हुई। डेरा परिसर को सर्च ऑपरेशन के लिए 10 सेक्टरों में बांटा गया था।

- सर्च टीमों ने डेरे में स्थित रेस्टोरेंटों में भी तलाशी अभियान चलाया।

- आइटी टीमों ने कंप्यूटरों, लैपटॉप और कई हार्ड डिस्क की जांच की। 39 डीवीआर और दो लैपटॉप को कब्जे में लिया गया।

 साध्वी के आवास से गुरमीत के कमरे का छिपा रास्ता मिला

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत की गुफा से एक ऐसा रास्ता भी मिला है, जो साध्वी आश्रम को जोड़ रहा है। हालांकि अब इसमें दीवार खड़ी कर दी गई है, लेकिन एक जंगला ऐसा अब भी है जिसमें आसानी से निकला जा सकता है। सर्च अभियान से जुड़े सूत्रों के अनुसार गुरमीत के निवास स्थान से एक रास्ता तो बेसमेंट में जा रहा है जो दूर तक जाता है, लेकिन बाद में इसे बंद किया हुआ है।

दूसरा रास्ता गुफा की दूसरी मंजिल से निकल रहा है। यह रास्ता आम नहीं है। गुफा के प्रथम तल पर एक कमरा बना हुआ है और दूसरे तल पर फिर कमरा है। जिसके एक तरफ जाने पर लांगरी का कमरा है। लांगरी (लंगर का रसोइया) के कमरे से सटा दूसरा कमरा भी है। लांगरी और कमरे के बीच दीवार है। माना जा रहा है इस कमरे के बीच दीवार बाद में खड़ी की गई है। क्योंकि लांगरी के कमरे में बाथरूम तक नहीं है और ऐसा नहीं हो सकता कि बाथरूम के लिए लांगरी को गुफा से बाहर जाना पड़ता हो। लांगरी के कमरे से जुड़ी दूसरी तरफ गुफा में ही साध्वियों का सिलाई-कढ़ाई सेंटर है। इस कमरे के ऊपर तीसरी मंजिल पर भी एक कमरा बनाया गया है जिसमें एसी, बेड व बाथरूम की सुविधा है।

'सब काल की माया'

रोहतक की सुनरिया जेल में बंद डेरा प्रमुख गुरमीत को लेकर एक कैदी ने ऑडियो के जरिये उसकी दिनचर्या को लेकर कई बातें बताई हैं। इस कैदी का नंबर 1973 है। उसने कहा कि गुरमीत से अन्य कैदी तरह-तरह के सवाल करते हैं। लिहाजा अब वह अपने सेल से अधिक बाहर नहीं निकलता। गुरमीत सुबह के समय डेढ़ से दो घंटे तक पौधों को पानी देता है। उसने अपने पास एक डायरी रखी हुई है, जिसमें वह कुछ-कुछ लिखता रहता है। इस कैदी ने इस बात से इनकार किया कि हनीप्रीत को लेकर गुरमीत चिल्लाता है। कैदी के अनुसार जेल से बाहर आने वाले दूसरे कैदी गलत बयानबाजी कर रहे हैं। कैदी उससे यह जरूर पूछते हैं कि बाबा तुम यहां कैसे, इस पर गुरमीत जवाब देता है कि सब काल की माया है। गुरमीत के सेल के आगे से आते-जाते अन्य कैदी धन-धन सतगुरू की आवाज लगाते हैं। कुछ समर्थक हैं तो कुछ चिढ़ाते हैं। जब भी वह खाना खाने के लिए लाइन में लगता तो उससे कई सवाल पूछे जाने लगते हैं।

'जाम-ए-इंसा की कहानी'

बेअंत ने यह भी बताया कि देहदान के नाम पर लोगों से हलफिया बयान लेकर उन्हें मार दिया जाता था। बेअंत पहले भी डेरे के बेरी के बाग में नरकंकाल होने का दावा कर चुका है। बेअंत का कहना है कि देहदान के नाम पर लोगों से हलफनामा लिया जाता था। इन्हें बैंक में रखा जाता था। बेअंत ने आरोप लगाया कि एम्स दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ तक के डॉक्टर डेरे में जाम-ए-इंसा पीने के लिए आते थे। इसे पीकर हर कोई अपनी समझ खो देता था और बदहवास हो जाता था। इसमें बाबा अपनी सबसे छोटी अंगुली का खून भी मिलाया करता था।

अवैध हथियारों का डेरा

डेरा सच्चा सौदा सिरसा में अवैध हथियार तैयार किए जाते थे। गुरमीत के गार्ड रह चुके बेअंत सिंह ने यह जानकारी दी है। बेअंत उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें नुपंसक बनाया गया था। फिलवक्त वह लंदन में है। बेअंत के अनुसार डेरे में कई आरा मशीनें हैं। एक मशीन के बगल में ही खराद मशीन लगी हुई है। इस खराद मशीन का इस्तेमाल पिस्टल और गन बनाने में होता था। उसने इस काम को करने वाले तीन लोगों के नाम भी बताए हैं।

उसने यह भी बताया कि डेरे के खास लोगों के नाम से हजारों फर्जी खाते खोले गए हैं। उनसे कोरे चेक पर साइन कराए गए। इस तरह से सारी काली कमाई को सफेद किया जाता रहा है, जबकि जिन लोगों के साइन होते हैं, उन्हें पता भी नहीं होता कि उनके नाम से खुले खाते में कितनी रकम है और कितनी कब निकलवाई अथवा जमा कराई गई है।

देहदान के नाम पर हलफनामा और गुरमीत की घिनौनी साजिश

बाबा राम रहीम के डेरे से उत्तर प्रदेश के बीकेटी स्थित जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंस में शव भेजने के लिए 20 हजार रुपये लगते थे। यह रुपये कॉलेज की ओर से एंबुलेंस सेवा को दिए जाते थे। उधर, सीएमओ डॉ. जीएस बाजपेई ने भी रविवार को कॉलेज प्रशासन से सारे दस्तावेज मांगे। सीएमओ के अलावा पुलिस ने भी जीसीआरजी कॉलेज से सभी 14 मृतकों के नाम, पता और उसे दान करने वालों की जानकारी मांगी है। कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी आसिफ अत्ताउल्लाह खान के मुताबिक सीएमओ की ओर से मांगे गए कागजात उपलब्ध करा दिए गए हैं।

पुलिस को हरियाणा के सिरसा स्थित डीएमसी अस्पताल के एक एंबुलेंस सर्विस की पर्ची मिली है। आशंका है कि सिरसा से जितने भी शव लखनऊ भेजे गए हैं, उसके लिए एक ही अस्पताल की एंबुलेंस का प्रयोग किया गया है। जीसीआरजी कॉलेज ने जो कागज उपलब्ध कराए हैं, उसमें एक शव के लिए 19,175 रुपये देने का जिक्र है। एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने वाला अस्पताल शव भेजने के लिए नौ रुपये प्रति किलोमीटर चार्ज करता था।

सिरसा से बिना डेथ सर्टिफिकेट के वाहनों से सिर्फ 14 शव ही लखनऊ नहीं भेजे गए हैं, बल्कि यह संख्या करीब 100 से ज्यादा है। सूत्रों का कहना है कि जीसीआरजी के अलावा लखनऊ के लगभग अधिकतर निजी मेडिकल कॉलेज सिरसा से शव मंगाते थे। खास बात यह है कि बिना डेथ मेमो के शव जाते थे और इसकी भनक भी पुलिस को नहीं लगी।
 

यह भी पढ़ें: ये है डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पूरी कहानी


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