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    सऊदी अरब में भारतीयों पर पड़ी मार, परिवार रखा तो चुकाना होगा ये टैक्‍स

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Wed, 21 Jun 2017 04:12 PM (IST)

    सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों को फिर एक संकट से गुजरना पड़ रहा है। मजबूरन उन्‍हें अपने परिवार के सदस्‍यों को वापस भेजना पड़ रहा है।

    सऊदी अरब में भारतीयों पर पड़ी मार, परिवार रखा तो चुकाना होगा ये टैक्‍स

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के ऊपर अब एक नया संकट खड़ा हो गया है। यह संकट सऊदी अरब सरकार द्वारा जारी किए गए नए फरमान से उपजा है। दरअसल, सऊदी सरकार ने 'डिपेंडेंट फी' के नाम पर एक नया कर लगाया है, जो वहां काम कर रहे विदेशियों को अपने साथ रह रहे आश्रितों के लिए चुकाना होगा। सामान्‍य भाषा में इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि यदि कोई व्‍यक्ति अपने बीवी और बच्‍चों के साथ वहां रह रहा है तो उसको अपने आश्रितों को वहां रखने के एवज में 100 रियाल (करीब 1700 रुपये) प्रति व्‍यक्ति प्रति माह चुकाना होगा।

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    इस नए फरमान के बाद वहां रह रहे करीब 41 लाख भारतीयों पर नया संकट खड़ा हो गया है। इस नए फरमान से भारतीयों पर न सिर्फ आर्थिक भार पड़ रहा है, बल्कि वह अपने परिवार को वापस भेजने पर मजबूर भी हो रहे हैं। कुछ ने तो इस तरह के भार से बचने के लिए अपने परिवार को वापस भारत भी भेज दिया है। इतना ही नहीं इस कर को एडवांस्‍ड चुकाना होगा। हालांकि सरकार का यह नया फरमान 1 जुलाई से लागू होना है, लेकिन इससे होने वाले आर्थिक बोझ को जानकर कुछ भारतीयों ने यह कदम उठाया है।

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    गौरतलब है कि विदेशियों के तौर पर सऊदी अरब में सबसे अधिक भारतीय ही रहते हैं। इन लोगों के लिए सरकार द्वारा लगाया गया नया कर परेशानी का सबब बन गया है। पिछले चार माह में कई भारतीयों के परिवार सऊदी अरब से वापस आ गए हैं। इतना ही नहीं यह कर साल-दर-साल बढ़ता जाएगा और 2020 तक यह 400 रियाल  प्रति व्‍यक्ति/प्रतिमाह हो जाएगा। उस वक्‍त एक आश्रित पर करीब 6900 रुपये खर्च करने होंगे।

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    यदि फिलहाल वहां पर रहने वाले भारतीयों की बात कही जाए तो इक्‍मा (रेजिडेंस परमिट) बढ़वाने के लिए उन्‍हें यह कर एडवांस चुकाना होगा। यदि किसी भारतीय के साथ उसकी बीवी और दो बच्‍चे सऊदी अरब में रहना चाहेंगे तो भविष्‍य में उन्‍हें इसके लिए 62000 रुपये हर वर्ष चुकाने होंगे। हालांकि इस फैसले के बाद वहां पर कुछ कंपनियों ने इसकी क्षतिपूर्ति करने की भी बात कही है। लेकिन कई लोग इसको गैर-इस्‍लामिक मानते हैं।

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