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तीन तलाक में दो तलाक अभी बाकी है, इनका क्या होगा?

सवाल यह उठता है कि मुस्लिमों में अब तलाक कैसे होगा? भारतीय मुसलमान दो और तरीकों से तलाक ले सकते हैं: तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसना।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 21 Aug 2017 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 08:11 PM (IST)
तीन तलाक में दो तलाक अभी बाकी है, इनका क्या होगा?
तीन तलाक में दो तलाक अभी बाकी है, इनका क्या होगा?

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच में से 3-2 ने तलाक पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है। बेंच की पांच सदस्यीय जज में से जस्टिस नरीमन, जस्टिस ललित और जस्टिस कुरियन ने इसे असंवैधानिक बताया जबकि चीफ जस्टिस खेहर और जस्टिस नजीर इसके पक्ष में थे।

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तीन जजों के मुताबिक तुरंत ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक गैर कानूनी और इस्लाम के खिलाफ है। यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है और इसलिए मुस्लिम इस तरीके से तलाक नहीं ले सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि मुस्लिमों में अब तलाक कैसे होगा? भारतीय मुसलमान दो और तरीकों से तलाक ले सकते हैं: तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसना।

तलाक-ए-एहसन- एक बार में एक तलाक बोला, इसके बाद तीन महीने तक इंतजार किया। इस दौरान अगर पति-पत्नी के बीच सुलह हो जाए तो तलाक नहीं होगा। अगर सुलह नहीं हुई तो तीन महीने के बाद तलाक हो जाएगा।
 
तलाक-ए-हसना- पत्नी के मेंस्ट्रुअल साइकल के बाद तलाक बोला. इसके बाद अगले मेंस्ट्रुअल साइकल के बाद तलाक बोला और फिर तीसरे महीने के मेंस्ट्रुअल साइकल के बाद तलाक बोला। इस तरह तीन महीने तक लगातार तलाक बोलने के बाद तलाक हो जाएगा।

इन देशों में भी लगा है प्रतिबंध

तीन तलाक के ऊपर दुनिया के कई देशों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। इनमें एल्जिरिया, बांग्लादेश, ब्रुनेई, साइप्रस, इजिप्ट, इंडोनेशिया, इरान, इराक, जोर्डन, मलेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, सीरिया, ट्यूनिशिया, तुर्की और यूएई शामिल है।  अब दुनिया के इन देशों की सूची में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन तलाक को असंवैधिक करार देने के बाद भारत भी शामिल हो गया है।

तीन तलाक पर बेंच में दिखे मतभेद

चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर जहां तीन तलाक की प्रथा पर छह माह के लिए रोक लगाकर सरकार को इस संबंध में नया कानून लेकर आने के लिए कहने के पक्ष में थे, वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंन करार दिया। बहुमत वाले इस फैसले में कहा गया कि तीन तलाक समेत हर वो प्रथा अस्वीकार्य है। तीन जजों ने यह भी कहा कि तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा स्पष्ट तौर पर स्वेच्छाचारी है। यह संविधान का उल्लंन है और इसे हटाया जाना चाहिए।

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