...तो बलूचिस्तान के हाईजैक को लेकर चीन का है ये मास्टर प्लान
चीन ने सीपैक के जरिए बलूचिस्तान को हाईजैक करने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। इसके जरिए उसकी निगाह यहां के खनिजों पर लगी है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और 'वन रूट वन बेल्ट' को लेकर जिस तरह की चिंता चीन को लेकर जताई जा रही थी वह अब सच होती दिखाई देने लगी है। इस बात की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी कि सीपैक और ओआरओबी के पीछे चीन की निगाहें बलूचिस्तान की खनिज संपदा पर लगी हैं। अब यही सच सभी के सामने आ भी गया है। इसका जिक्र पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार डॉन में किया गया है। कुछ दिन पहले छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गलियारे बन जाने के बाद चीन की कंपनियों के सहयोग से बलूचिस्तान के खजिनों को निकालने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि चीन की कंपनियां बलूचिस्तान में इस काम को बड़े पैमाने पर करेंगी।
खनिज संपदा से भरा पड़ा है बलूचिस्तान
पाकिस्तान की लगभग 900 किमी की सीमा अफगानिस्तान से लगती है। चीन की निगाह इस क्षेत्र पर काफी पहले से लगी हुई है। बलूचिस्तान में कॉपर और सोने का अपार भंडार मौजूद है। इसके अलावा यह इलाका प्राकृतिक गैस के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। इस इलाके में पिछले करीब दो दशक से ही चीन की कंपनियां बिना रोकटोक के अपना काम कर रही हैं। यहां पर चीन की खनिज कंपनियों के प्लांट भी मौजूद हैं। अखबार की ही एक रिपोर्ट यह भी बताती है कि कॉपर-गोल्ड सेंडेक प्रोजेक्ट से 2004-08 के दौरान चीन की कंपनी ने करीब 633.573 मिलियन का व्यापर किया था। इसमें से केवल दो फीसद बलूचिस्तान सरकार को उसके शेयर के रूप में दिया गया। इसके अलावा 48 फीसद पर पाकिस्तान सरकार का कब्जा रहा और 50 फीसद चीन के खजाने में चला गया।
बलूचों को नहीं मिला कोई फायदा
इसके बाद भी यहां पर स्थित सेंडेक प्रोजेक्ट से बूलचों को कोई फायदा नहीं पहुंचा। वहीं बलूचिस्तान के रेको डिक में दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर और गोल्ड का खजाना धरती के नीचे छिपा है। अखबार की मानें तो पाकिस्तान की सरकार अधिक संख्या में चीन की कंपनियों को यहां लाकर इस खजाने को बाहर निकालने पर एकराय है। ऐसा ही हाल तेथियान बेल्ट का भी है, जहां धरती की गोद में प्राकृतिक खजना भरा पड़ा है। यहां पर चीन के साथ आस्ट्रेलिया और तुर्की की कंपनियां भी अपनी रूचि दिखा रही हैं।
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सीपैक के जरिए चीन का गुलाम बन सकता है पाक
बलूचिस्तान को लेकर चीन ने जो रोडमैप तैयार किया है वह न सिर्फ चीन की तिजारी भरने के लिए काफी होगा बल्कि उसके दूरगामी प्रोजेक्ट्स के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। हालांकि ओआरओबी समेत सीपैक पाकिस्तान को न सिर्फ ले डूबेगा बल्कि उसको चीन का गुलाम भी बना सकता है। चीन की इस महत्वाकांक्षी योजना पर खुद संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जाहिर की है। इस पूरे मामले पर जागरण डॉटकॉम की स्पेशल डेस्क से बात करते हुए रक्षा विशेषज्ञ अनिल कौल ने माना कि चीन इसके जरिए पाकिस्तान के बड़े हिस्से को हड़पने की योजना पर चरणबद्ध तरीके से काम कर रहा है।
चीन के लिए बलूचिस्तान फायदे का सौदा
उन्होंने यह बात साफतौर पर कही कि उसकी निगाह में बलूचिस्तान का इलाका काफी मायने रखता है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर का एक हिस्सा वह पहले भी पाकिस्तान से ले चुका है। हालांकि वह यह जरूर मानते हैं कि भारत के लिए यह चिंता का सबब जरूर है। उन्होंने कहा कि अपनी इसी चाल के जरिए उन्होंने श्रीलंका के बड़े पोर्ट पर कब्जा कर लिया है और अब पाकिस्तान का नंबर है। यहां पर इस बात का भी जिक्र करना बेहद जरूरी होगा कि बलूचिस्तान के जरिए बड़े पैमाने पर खनिज के अलावा तेल और गैस की तस्करी की जाती है।
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बलूच करते रहे हैं विरोध
गौरतलब है कि बलूचिस्तान के लोग हमेशा से ही यहां पर पाकिस्तान के अतिक्रमण का विरोध करते रहे हैं। बलूचिस्तान में गरीबी और अशिक्षा का आज भी बोलबाला है। बलूचिस्तान के लोग काफी समय से पाकिस्तान और चीन के बीच बन रहे आर्थिक गलियारे का भी विरोध करते आ रहे हैं। उनका हमेशा से ही आरोप रहा है कि पाकिस्तान और चीन की नजर बलूचिस्तान की धरती में छिपे प्राकृतिक खजाने पर है। विदेशों में कई बार पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले नेताओं का यह भी कहना है कि पाकिस्तान ने पिछले सात दशकों से इस इलाके पर अवैध कब्जा कर रखा है और इतने वर्षों में भी यहां का कोई विकास नहीं किया है।
चीन की सोची समझी रणनीति
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने इस पूरे इलाके को चीन को सौंपने की एक सोची समझी रणनीति भी बना रखी है। यही वजह है कि पाकिस्तान की फौज वहां के लोगों को मारती है और महिलाओं के साथ जोर-जबरदस्ती करती है। फौज के लिए महिलाएं सिर्फ मौज मस्ती का जरिया है। बलूचिस्तान के नेता मानते हैं कि जो पाकिस्तान के खिलाफ विरोध करता है उसको मार दिया जाता है।
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