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    विधानसभा चुनाव 2017: यूपी में कांग्रेस के लिए संजीवनी बन सकती है सपा

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 23 Jan 2017 03:02 PM (IST)

    इस बार यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम कर सकती है। दोनों के बीच हुए गठबंधन में कांग्रेस को फायदा होने की पूरी उम्‍मीद है।

    विधानसभा चुनाव 2017: यूपी में कांग्रेस के लिए संजीवनी बन सकती है सपा

    नई दिल्ली (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की सियासी महाभारत में अपनी जमीन खोने वाली कांग्रेस को इस बार समाजवादी पार्टी की बदौलत वर्षों बाद मुस्कुराने का मौका मिल गया है। किसी समय में उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस 1989 के बाद से ही यहां पर अपनी सियासी जमीन को खोती रही है। पिछले कई वर्षों से लगातार कांग्रेस यूपी में बड़ी चौथे नंबर की पार्टी बनती आई है। यही वजह है कि इस बार उसने मौजूदा समय में सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी से गठबंधन को हाथ बढ़ाया है। यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस को मिली 105 सीटें उसके लिए निर्जीव पड़े शरीर में जान फूंकने का काम कर सकती हैंं।

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    सपा बन सकती है संजीवनी

    यदि 1996 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद के तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 30 सीटों पर भी जीत का स्वाद नहीं चख सकी है। इसकी वजह उसको सपा, बसपा और भाजपा से मिली टक्कर रही है। ऐसे में अब एक ऐसी पार्टी ने उसके साथ गबठबंधन किया है जो न सिर्फ सत्ता पर काबिज है बल्कि पिछले चुनाव में पूर्ण बहुमत भी पा चुकी है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सपा की साइकिल संजीवनी बन सकती है। वर्ष 2012 के चुनाव में भी कांग्रेस ने किसी एक क्षेत्र में अपनी सीट जीती होंं ऐसा भी नहीं रहा है।

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    चौथे नंबर की पार्टी बन कर रह गई कांग्रेस

    उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ विधानसभा चुनावों पर नजर डालेंगे तो कांग्रेस की स्थिति बेहद साफ हो जाती है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस को महज 28 सीटें मिली थीं और वह चौथे नंबर पर थी। वहीं समाजवादी पार्टी ने सभी को धता बताते हुए इस चुनाव में जबरदस्त बहुमत हासिल किया था। दूसरी भाषा में कहें तो राज्य में साइकिल ऐसी दौड़ी थी कि हाथी का दम फूल गया और कम खिलने से पहले की मुरझा गया और हाथ चल ही नहीं पाया।

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    सपा-बसपा में रही है लड़ाई

    1993 के बाद जो राजनीतिक समीकरण उत्तर प्रदेश में बनें उसमें केवल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ही मैदान में दिखाई दीं। इसके बाद हुए हर चुनाव में सरकार बदली और एक बार सपा और फिर बसपा की बारी सत्ता पर काबिज होने वालों में आती रही। लेकिन इस बीच में कहीं और कभी भी कांग्रेस का नाम नहीं आया। इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस के पास किसी भी मजबूत नेता का न होना रहा। एनडी तिवारी के बाद से ही यहां पर कांग्रेस किसी भी नेता को मजबूत बनाकर सामने नहीं ला सकी। 1985 में आखिरी बार इस राज्य में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी।

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    आंकड़ों में कांग्रेस की स्थिति

    वर्ष 1996: यूपी विधानसभा चुनाव

    भाजपा 174 सीट, समाजवादी पार्टी 110 सीट, बहुजन समाजवादी पार्टी 67 सीट, कांग्रेस 33 सीट
    वर्ष 2002 : यूपी विधानसभा चुनाव

    समाजवादी पार्टी 143 सीट, बहुजन समाजवादी पार्टी 98, भाजपा 88, कांग्रेस 25 सीट

    वर्ष 2007 : यूपी विधानसभा चुनाव
    बहुजन समाज पार्टी 206, समाजवादी पार्टी 97, भाजपा 51, कांग्रेस 22

    वर्ष 2012 : यूपी विधानसभा चुनाव
    समाजवादी पार्टी 224, बहुजन समाज पार्टी 80, भाजपा 47, कांग्रेस 28

    पार्टियों का मिले कितने प्रतिशत वोट

    वर्ष 2002 : यूपी विधानसभा चुनाव

    बहुजन समाज पार्टी 23.06%, समाजवादी पार्टी 25.37%, भाजपा 20.08%, कांग्रेस 8.96%

    वर्ष 2007 : यूपी विधानसभा चुनाव

    बहुजन समाजवादी पार्टी 30.43%, समाजवादी पार्टी 25.43%, भाजपा 16.97%, कांग्रेस 8.61%

    वर्ष 2012 : यूपी विधानसभा चुनाव

    समाजवादी पार्टी 29.15%, बहुजन समाज पार्टी 25.91%, भाजपा 1.97%, कांग्रेस 3.03%

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