मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगे बगैर चैन नहीं : विदेश मंत्रालय
भारत के रुख को न सिर्फ अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन से जोरदार समर्थन मिला बल्कि संयुक्त राष्ट्र में मसूद पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को लंबे समय तक ठंडे बस्ते में डालने का चीन का मंसूबा भी गलत साबित हुआ।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खूंखार आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की एक और कोशिश भले ही चीन की वजह से असफल हो गई हो लेकिन इस असफलता में भी भारत की एक अहम कूटनीतिक सफलता छिपी हुई है।
भारत के रुख को न सिर्फ अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन से जोरदार समर्थन मिला बल्कि संयुक्त राष्ट्र में मसूद पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को लंबे समय तक ठंडे बस्ते में डालने का चीन का मंसूबा भी गलत साबित हुआ। अगर उक्त तीनों देशों द्वारा सही वक्त पर यह प्रस्ताव नहीं लाया गया होता तो चीन मसूद के मामले को लंबे समय के लिए खारिज कर देता।
2009 में भी भारत मसूद समेत तीन आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव लाया था। लेकिन तब तकनीकी आधार पर चीन व ब्रिटेन के विरोध की वजह से तकरीबन छह वर्षो तक ठंडे बस्ते में चला गया था। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1267 के तहत आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव तीन बार खारिज हो जाता है तो उसे लंबे समय तक टाल दिया जाता है। इस बार ऐसी ही स्थिति बन रही थी। लेकिन 19 जनवरी, 2017 को अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस ने नए सिरे से मसूद के खिलाफ प्रस्ताव ला कर इस मामले को जिंदा रखा लेकिन चीन ने प्रस्ताव को लगातार चौथी बार तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया।
चीन का रवैया आधारहीन
भारत के मुताबिक चीन का रवैया पूरी तरह आधारहीन है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का कहना है कि सबसे पहले तो भारत की तरफ से यह प्रस्ताव नहीं लाया गया था। यह पूरी तरह से आतंक के खिलाफ एक प्रस्ताव था जो आतंकी संगठन जैश के मुखिया पर प्रतिबंध लगाने को था। यह भी उल्लेखनीय बात है कि जैश पर इस नियम के तहत पहले से ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय नहीं बल्कि वैश्विक आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा है।
भारत विरोध का केंद्र
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने जैश व अजहर को फिलहाल भारत विरोधी गतिविधियों का सबसे अहम केंद्र बना रखा है। एक वर्ष के भीतर भारत में जितने आतंकी हमले हुए, उन सभी में जैश की भूमिका के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। कुछ प्रमाण पाकिस्तान को भी दिए गए हैं लेकिन पाकिस्तान की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह एक वजह है कि भारत ने जैश मुखिया मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगाने को अपनी आतंक रोधी कूटनीति का अहम हिस्सा बना रखा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।