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    सतीश वर्मा ने मणि के दावों पर उठाए सवाल, कहा-पूर्व निय़ोजित था इशरत एनकाउंटर

    By Manoj YadavEdited By:
    Updated: Thu, 03 Mar 2016 10:28 AM (IST)

    सतीश वर्मा ने कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ ये एनकाउंटर इशरत जहां की पूर्व नियोजित हत्या थी।

    नई दिल्ली। इशरत जहां मामले में हर रोज एक नया ट्विस्ट सामने आ रहा है। गुरुवार को सीबीआई जांच में सहयोग करने वाले आईपीएस अफसर व एसआईटी टीम के पूर्व प्रमुख सतीश वर्मा ने मामले में चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ ये एनकाउंटर इशरत जहां की पूर्व नियोजित हत्या थी। इसके साथ ही उन्होंने गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के दावों को खारिज करते हुए उनके आरोपों से साफ इंकार किया। उन्होंने कहा कि यदि मैंने ऐसा कुछ किया होता तो वे मेरे खिलाफ कानूनी सहायता ले सकते थे।

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    एनकाउंटर से तीन दिन पहले उठा लिया था-सतीश

    सतीश वर्मा ने कहा कि हमारी जांच में पता चला कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। गौरतलब है कि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि एक महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा गया और फिर मार डाला गया। सतीश वर्मा मामले की जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) के सदस्य भी थे।

    महाराष्ट्र के मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां को उसके तीन अन्य साथियों के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को मार डाला गया था। आरोप लगाया गया था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। बीते सप्ताह पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा था कि लश्कर के इस समूह को 2004 में आईबी ने ही गुजरात आने का लालच दिया था।

    अपराध में शामिल लोगों को बचाने की मुहीम-सतीश

    मौजूदा समय में शिलॉन्ग में NEEPO के चीफ विजिलेंस ऑफिसर पर तैनात आईजी रैंक के अधिकारी सतीश वर्मा ने कहा कि सुरक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है वह इस अपराध में शामिल लोगों को बचाने के लिए हो रहा है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने मामले में शामिल आईबी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया जबकि अदालतें पहले ही ऐसे मामलों में अनुमति की जरूरत नहीं होने की बात कह चुकीं हैं।

    आईपीएस अफसर ने इशरत के संबंध में कहा कि वह मारे गए तीन अन्य लोगों में से एक जावेद शेख के संपर्क में कुछ दिन पहले आई थी। वह अपने घर से 10 दिनों के लिए दूर थी और इसी दौरान उन लोगों की मुलाकात हुई थी। गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के दावों को खारिज करते हुए वर्मा ने कहा कि मणि को इस केस के संबंध में कोई डायरेक्ट जानकारी नहीं है।

    वर्मा ने ये भी कहा कि कुछ लोग एक माहौल तैयार करने की तैयारी कर रहे हैं और मणि भी उस योजना का हिस्सा हैं और उसमें अपना योगदान दे रहे हैं।

    सूत्रों के मुताबिक, इशरत जहां मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर सतीश वर्मा सीबीआई की विशेष अदालत में अपील करेंगे।

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