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    क्या सचमुच खतरे में है दिल्ली की नई सरकार?

    By Edited By:
    Updated: Wed, 01 Jan 2014 12:53 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सबको यह कह कर चौंका दिया कि उनकी सरकार के पास मात्र 4

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सबको यह कह कर चौंका दिया कि उनकी सरकार के पास मात्र 48 घंटे का समय बचा है और वह जल्द से जल्द जनता के काम पूरे कर लेना चाहते हैं। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि ये दोनों दल सरकार को गिराने की राजनीति कर रहे हैं। केजरीवाल का यह बयान भाजपा के उस फैसले से जुड़ा था, जिसमें पार्टी विधायक प्रो. जगदीश मुखी ने प्रोटेम स्पीकर बनने से इन्कार कर दिया था। बाद में खुद केजरीवाल ने ही घोषणा की कि कांग्रेस विधायक मतीन अहमद प्रोटेम स्पीकर होंगे।

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    आपको बता दें कि सोमवार को उपराज्यपाल नजीब जंग के आदेश पर दिल्ली विधानसभा के सचिव पीएन मिश्र ने एक पत्र भेजकर भाजपा विधायक प्रो. मुखी से आग्रह किया था कि वे प्रोटेम स्पीकर बनें। विधानसभा का वरिष्ठतम सदस्य होने के नाते मुखी को प्रोटेम स्पीकर बनाने की बात हुई थी। लेकिन उन्होंने फोन कर विधानसभा सचिव को बता दिया कि वे इस पद को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। मुखी के अलावा कांग्रेस के हारून यूसुफ व मतीन अहमद तथा जनता दल यूनाइटेड के शोएब इकबाल पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीतकर आने वाले वरिष्ठतम विधायक हैं। लिहाजा विधानसभा सचिवालय ने पहले शोएब इकबाल से संपर्क साधा, लेकिन प्रोटेम स्पीकर बनने से इनकार कर दिया। आखिरकार मतीन अहमद से संपर्क किया गया और वे यह जिम्मेदारी स्वीकार करने को तैयार हो गए। समझा जा रहा है कि कांग्रेस के आला नेताओं के निर्देश पर ही मतीन ने प्रोटेम स्पीकर बनना स्वीकार किया है।

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    प्रोटेम स्पीकर वह होता है जिसे उपराज्यपाल अस्थायी विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर शपथ दिलाते हैं और वही सभी नए चुनकर आए विधायकों को शपथ दिलाता है तथा उसी की अध्यक्षता में विधानसभा के नए अध्यक्ष का चुनाव होता है। बताया यह जा रहा है कि भाजपा की ओर से प्रो. मुखी विधानसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार होंगे।

    यदि वे प्रोटेम स्पीकर बन जाते तो उनके लिए अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना संभव नहीं होता। यही स्थिति शोएब इकबाल के साथ भी है। इसीलिए दोनों ने ही प्रोटेम स्पीकर बनने से मना कर दिया। लेकिन बड़ी बात यह है कि आखिर केजरीवाल सरकार के लिए 48 घंटे का ही समय होने की बात क्यों कर रहे हैं?

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