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    जीएसटी को लेकर नौकरशाही ने खोला मोर्चा, प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Sun, 26 Feb 2017 08:08 PM (IST)

    जीएसटी के प्रस्तावित कानूनी ढांचे और ऑडिट प्रक्रिया के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की चिंता का हवाला भी इस ज्ञापन में दिया है। ...और पढ़ें

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    जीएसटी को लेकर नौकरशाही ने खोला मोर्चा, प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों के टैक्स अधिकारियों के विरोध के बाद अब केंद्रीय नौकरशाही ने भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की प्रस्तावित व्यवस्था को लेकर मोर्चा खोल दिया है। भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों के संगठन ने जीएसटी के संबंध में कई प्रावधानों पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है। अधिकारियों की मांग है कि पीएम जीएसटी काउंसिल में लिए गए कुछ निर्णयों को पलटने के लिए हस्तक्षेप करें।

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    'द इंडियन रेवेन्यू सर्विस (कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज) ऑफिसर्स एसोसिएशन' ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर गुड्स एंड सर्विसेज नेटवर्क (जीएसटीएन) के संबंध में गृह मंत्रालय की ओर से जतायी गयी चिंता को भी रेखांकित किया है। साथ ही जीएसटी के प्रस्तावित कानूनी ढांचे और ऑडिट प्रक्रिया के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की चिंता का हवाला भी इस ज्ञापन में दिया है।

    आइआरएस अधिकारियों के इस संगठन की दलील है कि राज्यों को सेवा कर लागू करने के संबंध में कोई अनुभव नहीं है। जीएसटी लागू होने पर सालाना ढेढ़ करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले 90 प्रतिशत व्यवसाइयों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्यों को सौंपने संबंधी जीएसटी काउंसिल के निर्णय पर भी आपत्ति है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी काउंसिल ने 16 जनवरी को हुई बैठक में इस संबंध में फैसला किया था।

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    संगठन का कहना है कि राज्यों को सेवा कर लागू करने का अनुभव नहीं है ऐसे में जीएसटी लागू होने पर सेवाओं पर टैक्स के संबंध में अलग-अलग राज्यों में भिन्न विचार उभर सकते हैं जिससे अनावश्यक रूप से वाद-विवाद शुरु होगा। इसके अलावा ढेढ़ करोड़ रुपये से अधिक के सालाना कारोबार वाले व्यवसाइयों पर प्रशासनिक नियंत्रण राज्यों और केंद्र के बीच 90:10 के अनुपात की बजाय 50:50 के अनुपात में करने की मांग भी इस संगठन ने की है।

    आइआरएस अधिकारियों के इस संगठन का यह भी कहना है कि सुरक्षा और वित्तीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए जीएसटी नेटवर्क का प्रमुख भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी को ही बनाया जाए। उन्होंने इस संबंध में गृह मंत्रालय की ओर से जतायी गयी चिंता का हवाला दिया है।

    उल्लेखनीय है कि जीएसटी के सूचना प्रौद्योगिकी ढांचे का प्रबंधन करने वाली जीएसटीएन एक विशेष कंपनी है। हाल में संसद में एक सवाल के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया था कि वित्त मंत्रालय ने इसके लिए गृह मंत्रालय से कोई सुरक्षा संबंधी मंजूरी नहीं ली है। संगठन ने जीएसटी लागू होने पर राज्यों के संबंधित अधिकारियों को सीबीआइ के दायरे में लाने की मांग भी की है।

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    संगठन का दावा है कि कई देशों में जीएसटी क्रियान्वयन में खामियों के चलते असफल रहा है। यही वजह है कि संगठन ने अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए इन मुद्दों को ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री के समक्ष रखा है।