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    आइएम के सियासी रिश्तों की छानबीन शुरू

    By Edited By:
    Updated: Tue, 01 Apr 2014 09:03 AM (IST)

    जदयू से भाजपा में आए और 48 घंटे के भीतर बाहर किए गए साबिर अली पर इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] और आतंकियों से रिश्ते का आरोप लगने से सनसनी फैल गई है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी के आरोप सच हैं या झूठ, यह तो जांच का विषय है, लेकिन इससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क जरूर हो गई हैं। स्लीपिंग माड्यूल्स और शरणदाताओं पर केंद्रित एजेंसियों

    [आनन्द राय], लखनऊ। जदयू से भाजपा में आए और 48 घंटे के भीतर बाहर किए गए साबिर अली पर इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] और आतंकियों से रिश्ते का आरोप लगने से सनसनी फैल गई है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी के आरोप सच हैं या झूठ, यह तो जांच का विषय है, लेकिन इससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क जरूर हो गई हैं। स्लीपिंग माड्यूल्स और शरणदाताओं पर केंद्रित एजेंसियों ने अब आइएम के सियासी रिश्तों की भी छानबीन शुरू कर दी है।

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    गोरखपुर में पकड़े गए दो पाकिस्तानी आतंकियों अब्दुल वलीद व फहीम से पूछताछ में एटीएस को कई अहम जानकारियां मिली हैं। इसके सहारे सियासी रिश्तों से भी परदा उठाने की तैयारी चल रही है। संभव है कि चुनाव के दौरान सुरक्षा एजेंसियां किसी पर हाथ न डाले, लेकिन सूत्रों का कहना है कि गोरखपुर से लेकर मुजफ्फरनगर के बीच सियासी आमदरफ्त रखने वाले तीन-चार लोग गिरफ्त में आ सकते हैं। कुछ दिन पहले नेपाल सीमा से पकड़े गए दस लाख के इनामी और आइएम के अगुवा तहसीन अख्तर उर्फ मोनू के चाचा एक राजनीतिक दल से जुड़े हैं। हालांकि, उन्होंने मोनू से किसी भी तरह का संबंध से इन्कार किया है। बाटला हाउस कांड से सुर्खियों में आए आजमगढ़ के एक आतंकी के पिता भी राजनीतिक दल से जुड़े रहे हैं। इंटेलीजेंस ब्यूरो ने राज्य सरकार को कई बार इस तरह के इनपुट दिए और ऐसे संरक्षणदाताओं और सहयोगियों पर निगाह रखने को भी कहा, लेकिन कभी इस दिशा में एजेंसियों ने सीधा हस्तक्षेप नहीं किया।

    आतंकियों के सियासी रिश्तों की बुनियाद तो मंदिर आंदोलन के बाद से ही पड़नी शुरू हो गई। अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस के बाद जब भारत विरोधी ताकतें सक्रिय हुई तो सबसे पहले नेपाल के जरिये ही घुसपैठ शुरू हुई। उन दिनों नेपाल में यूपी के देवरिया का मूल निवासी मिर्जा दिलशाद बेग राजनीति में सक्रिय हुआ था। तस्करी के धंधे से सियासत में उतरे मिर्जा को आइएसआइ ने मोहरा बनाया और उसके जरिये वर्ष 1993 को गोरखपुर के मेनका टाकीज में तिरंगा फिल्म के प्रदर्शन के दौरान विस्फोट कराया। इन सबके यूपी और बिहार में सियासी रिश्ते हैं। आइएसआइ के संरक्षण में चल रहे लश्कर-ए-तैयबा, सिमी और आइएम जैसे गुटों को उनसे मदद मिलने की सूचनाएं भी रहीं, पर कोई एजेंसी इन पर हाथ डालने में कामयाब नहीं हुई। उत्तर प्रदेश एसटीएफ के आइजी अशीष गुप्ता ने बताया कि गोरखपुर में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकियों से पूछताछ जारी है। कई अहम बातें पता चली हैं, लेकिन अभी उसे हम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। पूछताछ में मिली जानकारी के सत्यापन के लिए आतंकवाद निरोधक दस्ता [एटीएस] विभिन्न क्षेत्रों में गई है। समय पर जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।

    तहसीन ने यासीन भटकल की पत्नी को पहुंचाई थी रकम

    जयपुर। इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल के लिए हवाला से पैसे मंगवाए गए थे। आइएम आतंकी तहसीन अख्तर ने जयपुर में हवाला के जरिये एक लाख रुपये मंगवाए जो यासीन भटकल की पत्नी जाहिदा को दिए गए थे। भटकल की पत्नी के भी अजमेर और जयपुर आने की जानकारी पुलिस को मिली है। एटीएस और पुलिस को मिली नई जानकारी के मुताबिक जोधपुर के एक युवक की फर्जी आइडी से खरीदी गई सिम भी तहसीन ने जाहिदा को दी थी। जयपुर, जोधपुर, अजमेर और सीकर से पकड़े गए आतंकी इसी सिम पर संपर्क करते थे। भटकल के मुंबई स्थित घर से बरामद सिम से राजस्थान में आतंकी नेटवर्क का पता चला। भटकल को गत वर्ष अगस्त में गिरफ्तार किया था। मुंबई स्थित घर की तलाशी में भटकल की पत्नी जाहिदा के पास राजस्थान की एक सिम मिली। जाहिदा ने तहसीन अख्तर द्वारा सिम देने की बात स्वीकारी।

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