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    माकपा ने कहा, पहले 'आप'

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    Updated: Wed, 08 Jan 2014 08:46 PM (IST)

    नई दिल्ली, मुकेश केजरीवाल। वामपंथी नेताओं की ओर से पिछले दिनों आम आदमी पार्टी (आप) की तारीफ किए जाने के बाद से दोनों दलों के बीच किसी तालमेल की संभावना को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी माकपा की शीर्ष नेता बृंदा करात का कहना है कि इस बारे में उनकी पार्टी कोई पहल नहीं करना चाहती। प्रस्तुत हैं, 'दैनिक

    नई दिल्ली, मुकेश केजरीवाल। वामपंथी नेताओं की ओर से पिछले दिनों आम आदमी पार्टी (आप) की तारीफ किए जाने के बाद से दोनों दलों के बीच किसी तालमेल की संभावना को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी माकपा की शीर्ष नेता बृंदा करात का कहना है कि इस बारे में उनकी पार्टी कोई पहल नहीं करना चाहती। प्रस्तुत हैं, 'दैनिक जागरण' से उनकी बातचीत के अंश-

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    क्या लोकसभा चुनाव में 'आप' से तालमेल की कोई गुंजाइश है?इस तरह का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने स्वयं कहा है कि वे किसी के साथ गठबंधन के बारे में नहीं सोच रहे हैं। यह उनके ऊपर है कि वे क्या चाहते हैं।

    पढ़ें: आप संग तीसरे मोर्चे की संभावना तलाश रहे वाम दल

    चुनाव बाद.. अभी इस बारे में 'हां' या 'नां' में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। हमारी तरफ से ऐसी कोई बात नहीं है।

    आप जिस गैर कांग्रेस और गैर भाजपा विकल्प की तलाश में थे, क्या यह उसमें फिट होती है?यह 'एक जोड़ एक' बराबर दो जैसा गणित नहीं। देश को तीसरा विकल्प देने वाला ऐसा कोई भी गठबंधन नीतियों पर आधारित होगा। अभी देखना है कि विभिन्न मामलों पर आम आदमी पार्टी कहां खड़ी होती है। दो दिन पहले पार्टी के एक नेता ने कश्मीर पर कोई बयान दिया और दूसरे ने उसका विरोध किया। इसी तरह इन्होंने सांप्रदायिकता के बारे में अब तक कुछ नहीं बोला है।

    यह पार्टी दूसरी पार्टियों को तो जमकर निशाना बनाती है, मगर वामपंथी दलों पर नरम दिखती है.. इनके नेता प्रशांत भूषण हमारी सरकार पर कई आरोप लगा चुके हैं। इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। वे कहां खड़े हैं, उनकी नीतियां क्या हैं? आने वाले दिनों में वे यह चीजें स्पष्ट करेंगे।

    लेकिन क्या आपको इनकी राजनीतिक शैली में कोई उम्मीद दिखाई देती है? अभी तो उन्होंने कुछ मुद्दों पर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई है। अब देखना होगा कि इस सरकार का भविष्य क्या रहता है और भविष्य में ये क्या करते हैं। मुख्य सवाल है उदारीकरण, निजीकरण, प्राकृतिक संपदा की लूट और विदेशी पूंजी को लेकर उनकी क्या राय है? ये बिजली वितरण करने वाली निजी कंपनियों का कैग से आडिट तो करवा रहे हैं। मगर जो निजीकरण हुआ है, उस पर इनकी क्या राय है? आप सब्सिडी कब तक देंगे? क्या बिजली वितरण सरकार के हाथ में लेने की योजना है?

    'पहले सांप्रदायिकता और दूसरे मुद्दों पर आम आदमी पार्टी को अपना मत स्पष्ट करना होगा।'- -बृंदा करात, माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य

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