इसरो की मंगल यान को 'मंजिल' पर पहुंचाने की पूरी तैयारी
भारत का पहला मंगल मिशन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। मिशन के तहत अगले सप्ताह लाल ग्रह की बाहरी कक्षा में अंतरिक्ष यान को स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। मिशन की सफलता से भारत वैश्विक अंतरिक्ष के अग्रणी देशों के साथ खड़ा हो जाएगा।
नई दिल्ली। भारत का पहला मंगल मिशन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। मिशन के तहत अगले सप्ताह लाल ग्रह की बाहरी कक्षा में अंतरिक्ष यान को स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। मिशन की सफलता से भारत वैश्विक अंतरिक्ष के अग्रणी देशों के साथ खड़ा हो जाएगा।
मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी मंगलयान को पिछले साल पांच नवंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से छोड़ा गया था। इसका मकसद मंगल ग्रह की सतह और संरचना के साथ वहां के वातावरण के बारे में जानना है जिससे जीवन के अस्तित्व की संभावनाओं की जानकारी हासिल की जा सके।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र [इसरो] के वैज्ञानिक सचिव वी कोटेश्वर राव ने कहा, 'प्रबल विश्वास है। अभी तक जितने ऑपरेशन किए गए वो सभी सफल रहे हैं। सभी तय किए गए पैमाने सामान्य हैं।'
अपलोड हुए कमांड
इसरो ने 24 सितंबर की सुबह मंगल की कक्षा में अंतरिक्षयान को प्रवेश कराने के लिए कमांड अपलोड कर चुका है। राव ने बताया कि इससे दो दिन पहले वे मुख्य इंजन का चार सेकेंड के लिए परीक्षण भी करेंगे।
आपातकालीन योजना भी तैयार
इसरो ने आपातकालीन स्थिति के लिए भी योजना तैयार कर रखा है। अगर मुख्य इंजन फेल हो जाता है तो मंगल के बाहरी कक्षा में यान को स्थापित करने के लिए आठ छोटे प्रक्षेपकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
तब पहला देश बनेगा भारत
अगर 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में अंतरिक्षयान प्रवेश करने में सफल होता है तो भारत पहले ही प्रयास में कामयाब होने वाला पहला देश बन जाएगा। अभी तक कई प्रयासों के बाद यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी प्रोब्स को ही मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने और इसकी सतह पर उतारने में सफलता मिली है।
मोदी के वादे को ताकत
450 करोड़ रुपये की परियोजना की सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन योजनाओं को भी ताकत देगी जिसमें उन्होंने भारी उपग्रहों के लिए अंतरिक्ष लांच की नई सुविधाओं के निर्माण का वादा किया है। इससे भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी बाजार का बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।
नासा का अंतरिक्षयान भी मंगल के करीब
नासा का मार्स स्पेसक्राफ्ट अपने निर्धारित कार्यक्रम के तहत 21 सितंबर को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यान करीब दस महीने में 44.2 करोड़ मील की यात्रा पूरी करने के करीब है। एक बयान में नासा ने कहा कि मार्स एटमॉसफियर एंड वोलाटाइल एवोलूशन [एमएवीईएन] स्पेसक्राफ्ट को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कराने के लिए सभी तैयारियों पूरी कर ली गई हैं।