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    155 साल पुराने IPC में व्यापक बदलाव के पक्ष में हैं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

    राष्ट्रद्रोह कानून पर देश में चल रही बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 21वीं सदी की जरूरतों से निबटने के लिए आइपीसी की व्यापक समीक्षा का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि समय बदलने के साथ अपराध के स्वरूप में बदलाव होता रहता है। लिहाजा परिवर्तन होते रहना चाहिए।

    By Lalit RaiEdited By: Updated: Sat, 27 Feb 2016 09:21 AM (IST)

    कोच्चि। राष्ट्रद्रोह कानून पर देश में चल रही बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 21वीं सदी की जरूरतों से निबटने के लिए आइपीसी की व्यापक समीक्षा का सुझाव दिया है। भारतीय दंड संहिता के 155वें साल के उपलक्ष्य में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में प्रणब ने पुरानी पुलिस व्यवस्था में बदलाव को भी जरूरी बताया। आइपीसी को एक जनवरी, 1862 को लागू किया गया था।

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    राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 155 सालों के दरम्यान आइपीसी में मामूली बदलाव हुए हैं। अपराधों की पुरानी सूची में कुछ ही नाम और जोड़े गए हैं। यहां तक कि अपनी उपनिवेशीय जरूरतों के लिहाज से अंग्रेजों ने जिन कार्यो को अपराध बताया, वे अब तक मौजूद हैं। दूसरी तरफ, कुछ नए अपराधों को सही तरीके से परिभाषित करना होगा।

    उल्लेखनीय है कि जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्रों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला चलाने के बाद से आइपीसी की धारा 124-ए में व्यापक बदलाव की मांग की जा रही है। ऐसे में राष्ट्रपति के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आर्थिक अपराधों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसने समग्र विकास और राष्ट्रीय प्रगति को अवरुद्ध किया है। इसे देखते हुए आधुनिक युग के तमाम अपराधों को इसकी पेचीदगियों के साथ आपराधिक कानून के दायरे में लाना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है।

    केरल में राष्ट्रपति

    राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज केरल को पहला डिजिटल राज्य घोषित करने और यूएल साइबर पार्क देश को समर्पित करने के साथ पांच अहम परियोजनाओं की शुरूआत करेंगे। अन्य दो परियोजनाओं में मुखर्जी केरल सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के जेंडर पार्क देश को समर्पित करेंगे और राज्य सरकार के डिजिटल सशक्तिरण अभियान और कनिवु (करूणाशील केरल) की शुरूआत की जाएगी।