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    आतंक के खिलाफ भारत के इंतजाम नाकाफी

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    Updated: Mon, 05 May 2014 11:07 AM (IST)

    संप्रग सरकार आंकड़ों के दम पर भले ही पिछले पांच सालों में आतंकवाद पर कारगर बढ़त का दावा कर रही हो, लेकिन अमेरिका ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत द्वारा की गई तैयारियों पर सवालिया निशान लगा दिया है। अमेरिका के विदेश विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी झगड़े और

    नई दिल्ली [नीलू रंजन]। संप्रग सरकार आंकड़ों के दम पर भले ही पिछले पांच सालों में आतंकवाद पर कारगर बढ़त का दावा कर रही हो, लेकिन अमेरिका ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत द्वारा की गई तैयारियों पर सवालिया निशान लगा दिया है। अमेरिका के विदेश विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी झगड़े और तालमेल के अभाव के कारण आतंकी अब भी आसानी से हमला करने में कामयाब हो जाते हैं।

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    दुनिया में आतंकी खतरे के आकलन के लिए तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार 2008 में मुंबई आतंकी हमले [26/11] के बाद भारत ने आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कई कदमों की घोषणा की। लेकिन, उनमें से ज्यादातर पर अमल नहीं किया जा सका। राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] का गठन जरूर किया गया, लेकिन आतंकी घटनाओं की जांच में उसकी क्षमता अब भी संदेह के घेरे में है। इसी तरह अपराधियों और आतंकियों पर नजर रखने के लिए नैटग्रिड अब भी बनकर तैयार नहीं हुआ है। आधी-अधूरी कोशिशों के साथ ही अमेरिका ने समेकित आतंकवाद विरोधी नीति नहीं बनाने के लिए भारत को आड़े हाथों लिया है। जबकि, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा से आतंकी घुसपैठ का खतरा लगातार बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार भारत अभी तक समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और नेपाल के साथ खुली सीमा पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में विफल रहा है। रही-सही कसर विभिन्न एजेंसियों के बीच श्रेय लेने की होड़ और तालमेल की कमी ने पूरी कर दी है।

    ध्यान देने की बात है कि इसी हफ्ते चेन्नई में ट्रेन में हुए धमाकों की जांच में तमिलनाडु सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों का सहयोग लेने से इन्कार कर दिया। हालांकि अमेरिका ने आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना भी की है, लेकिन उन्हें अपर्याप्त बताया है। अभी तक आतंकियों से जुड़ी संपत्तियों को तत्काल जब्त करने का कोई कानूनी ढांचा नहीं है और मौजूदा ढांचे के तहत इसमें काफी समय लग जाता है।

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