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एड्स की रोकथाम में भारतीय संस्कृति भी सहायक

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एड्स की रोकथाम के लिए कंडोम के प्रयोग के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर जोर देने की वकालत की है। डा. हर्षवर्धन ने एक विदेशी समाचार पत्र को हाल ही में दिए गए साक्षात्कार में कहा है कि एचआईवी के बारे में जागरुकता फैलाने के तरीके में बदलाव लाए जाने की जरूरत है

By Edited By: Published: Tue, 24 Jun 2014 07:55 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jun 2014 07:55 PM (IST)
एड्स की रोकथाम में भारतीय संस्कृति भी सहायक

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एड्स की रोकथाम के लिए कंडोम के प्रयोग के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर जोर देने की वकालत की है। डा. हर्षवर्धन ने एक विदेशी समाचार पत्र को हाल ही में दिए गए साक्षात्कार में कहा है कि एचआईवी के बारे में जागरुकता फैलाने के तरीके में बदलाव लाए जाने की जरूरत है। हर्षवर्धन ने कहा कि इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ कंडोम के प्रचार की जगह पती-पत्‍‌नी के बीच ईमानदार शारीरिक संबंधों को बढ़ाव दिया जाना चाहिए, जो भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं।

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उन्होंने कहा कि एड्स के खिलाफ जागरुकता के लिए सिर्फ कंडोम के प्रयोग जैसी बात से लोगों के बीच यह गलत संदेश जाता है कि आप इसका प्रयोग करके किसी भी तरह के अवैध शारीरिक संबंध बनाएं जो सही नहीं है।

भारत में एड्स का पहला मामला वर्ष 1986 में सामने आया था। इस समय एचआईवी के मरीजों की संख्या के लिहाज से भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। देश में एड्स पर नियंत्रण के लिए वर्ष 1992 में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेश की स्थापना की गई थी।

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