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    रॉफेल लड़ाकू विमान को हरी झंडी, शुक्रवार को होगा फ्रांस के साथ समझौता

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2016 05:56 AM (IST)

    लड़ाकू विमानों की बाट जोह रही भारतीय वायुसेना को अत्यंत आधुनिक रॉफेल विमान मिलने की राह शुक्रवार को खुल जाएगी।

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    नई दिल्ली[संजय मिश्र]। ताकतवर लड़ाकू विमानों की बाट जोह रही भारतीय वायुसेना को अत्यंत आधुनिक रॉफेल विमान मिलने की राह शुक्रवार को खुल जाएगी। भारत ने इसके लिए फ्रांस के साथ सौदे की पूरी रूपरेखा तय कर ली है। फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान की गुरुवार से शुरू हो रही नई दिल्ली यात्रा में 36 रॉफेल विमान की खरीद सौदे पर दोनों देश मुहर लगाएंगे।

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    तीन साल के भीतर पहला रॉफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को मिल जाएगा। साढ़े पांच साल में सभी 36 विमान भारत को मिल जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में रॉफेल विमान सौदे पर काफी चर्चा हुई। सरकार ने वायुसेना की अपरिहार्य जरूरतों को देखते हुए इस सौदे को हकीकत में तब्दील करने का फैसला लिया।

    रॉफेल का निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट इन विमानों को न केवल वायुसेना को उपलब्ध कराएगी, बल्कि हवा से दुश्मन पर अचूक निशाना लगाने वाली हथियार प्रणाली भी सौंपेगी। करीब 60 हजार करोड़ रुपए के रॉफेल विमानों की खरीद सीधे डसाल्ट से करने की जगह भारत ने फ्रांस सरकार के साथ समझौते की राह अपनाने फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा सौदों में दलाली के उठने वाले सवालों को देखते हुए कंपनी की जगह फ्रांस सरकार के माध्यम से रॉफेल सौदे को अमलीजामा पहनाने का फैसला लिया था। मोदी की फ्रांस यात्रा में ही इसके लिए समझौता भी हुआ था। लेकिन पिछले डेढ साल से विमानों की कीमत और सौदे की शर्तो को लेकर रस्साकशी चल रही थी।

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    रॉफेल खरीद समझौते की इस रकम में इसके रखरखाव से लेकर मिसाइल प्रणाली आदि भी शामिल होंगे। डसाल्ट भारतीय वायुसेना और उसके पायलटों को प्रशिक्षण भी देगी। समझौते में यह प्रावधान भी होगा कि विमानों के साथ मिलने वाले हथियारों और मिसाइलों के रख रखाव का डिपो तैयार नहीं होने की स्थिति में फ्रांस छह माह तक अपने यहां इन सामनों को रखेगा और कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेगा। इतना ही नहीं कंपनी विमान के कल पुर्जे सात साल तक शुरुआती मूल्य पर ही मुहैया कराएगी।

    गौरतलब है कि शुरुआती समझौते के तहत पहले यह प्रावधान पांच साल का था। लेकिन कीमतों पर भारत की फ्रांस से हुई डील में इसे दो साल और बढ़ाया गया। सौदे की कुल राशि में से भी भारत ने 4200 करोड़ रुपए कम कराए हैं। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर की शुक्रवार को होनेवाली अहम बैठक में इस समझौते पर आखिरी मुहर लगाने की रूपरेखा तैयार की गई है।

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