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तलाशी अभियान में मदद के लिए भारत तैयार

इंडोनेशिया से सिंगापुर जा रहे एयर एशिया के विमान के लापता होने की खबर के बाद भारतीय नौसेना ने किसी भी आपात स्थिति के मद्देनजर अपने तीन पोत और एक विमान को स्टैंडबाय पर रख दिया है। जरूरत पडऩे पर इन्हें तलाशी अभियान में लगाया जा सकता है। करीब नौ

By manoj yadavEdited By: Published: Sun, 28 Dec 2014 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 29 Dec 2014 05:48 AM (IST)
तलाशी अभियान में मदद के लिए भारत तैयार

नई दिल्ली। इंडोनेशिया से सिंगापुर जा रहे एयर एशिया के विमान के लापता होने की खबर के बाद भारतीय नौसेना ने किसी भी आपात स्थिति के मद्देनजर अपने तीन पोत और एक विमान को स्टैंडबाय पर रख दिया है। जरूरत पडऩे पर इन्हें तलाशी अभियान में लगाया जा सकता है। करीब नौ माह पहले लापता हुए मलेशिया के एमएच-370 विमान के तलाशी अभियान में भी भारत ने अहम भूमिका निभाई थी।

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सूत्रों ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में एक और अंडमान सागर में तैनात दो पोत को तैयार रहने को कहा गया है। इसके अलावा टोही विमान पी-81 को भी जरूरत पडऩे पर तलाशी अभियान में लगाया जा सकता है। इस विमान का इस्तेमाल पनडुब्बी रोधी अभियान में भी किया जाता है। नौसेना अधिकारियों के मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए पोत और विमान को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। आदेश मिलते ही इन्हें लापता विमान को ढूंढने के काम में लगा दिया जाएगा।

कई देशों ने की मदद की पेशकश

जकार्ता। सिंगापुर, मलेशिया, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और अमेरिका ने भी विमान की खोज में मदद की पेशकश की है। मलेशिया ने कई जलपोत और सी-130 विमान को खोज में मदद के लिए रवाना कर दिया है। सिंगापुर ने भी सी-130 विमान भेजा है, जबकि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने पी-3 ओरियन विमान को तैयार रखने का निर्देश दिया है।

छह साल पुराना था लापता विमान

जकार्ता। एयर एशिया का जो विमान रविवार की सुबह लापता हुआ है, वह 2008 में फ्रांसीसी निर्माता कंपनी एयरबस से खरीदा गया था। एयरबस ने रविवार को कहा कि लापता विमान छह साल से उड़ान भर रहा था। कंपनी के अनुसार, विमान अब तक लगभग 13,600 बार उड़ान भर चुका था और इस दौरान उसने 23 हजार घंटे का सफर किया था। उल्लेखनीय है कि एयर एशिया के विमान लगभग सौ शहरों के लिए उड़ान भरते हैं।

परिजनों में शोक की लहर

विमान के लापता होने की खबर मिलते ही यात्रियों के परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई। सिंगापुर और सुराबाया दोनों जगह व्याकुल परिजन हवाई अड्डे की ओर निकल पड़े और विस्तृत जानकारी के लिए अधिकारियों से संपर्क साधने लगे। सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे पर लुईस सिद्धार्थ अपने मंगेतर को रिसीव करने आई थी। उसने बताया कि उसका मंगेतर शादी से पहले की आखिरी छुट्टी मनाने के लिए अपने परिवार वालों के पास गया हुआ था।

उधर, सुराबाया में पूर्णोमो नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि इस उड़ान से वह भी जाने वाला था, लेकिन तकदीर ने उसे बचा लिया। उसने कहा कि हम सात लोगों ने छुट्टी मनाने के लिए सिंगापुर जाने की योजना बनाई थी, लेकिन आखिरी वक्त पर एक जरूरी काम के चलते मैंने अपनी योजना बदल दी। मेरा पासपोर्ट अब भी मेरे हाथ में है।

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