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डोजियर की बाधा हटी, तो चल पड़ा बातचीत का सिलसिला

भारत-पाक रिश्तों की राह में दोनों देशों द्वारा तैयार किए जाने वाले डोजियर बड़ी बाधा थे। जबकि पिछले एक महीने में एनएसए और विदेश मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की बातचीत में कहीं भी डोजियर का आदान-प्रदान नहीं हुआ।

By anand rajEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2015 09:46 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2015 11:15 PM (IST)
डोजियर की बाधा हटी, तो चल पड़ा बातचीत का सिलसिला

नीलू रंजन, नई दिल्ली। भारत-पाक रिश्तों की राह में दोनों देशों द्वारा तैयार किए जाने वाले डोजियर बड़ी बाधा थे। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का यही मानना है। पिछले एक महीने में एनएसए और विदेश मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की बातचीत में कहीं भी डोजियर का आदान-प्रदान नहीं हुआ। इसके पहले बातचीत शुरू होने के पहले ही डोजियर पर चर्चा शुरू हो जाती थी।

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गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान में रह रहे लगभग पांच दर्जन आतंकियों का डोजियर तैयार किया हुआ है। अगस्त महीने में एनएसए स्तर की बातचीत से पहले इस डोजियर को अद्यतन रूप दिया गया था। इसमें दाऊद इब्राहिम के ताजा पाकिस्तानी पते से लेकर मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ साक्ष्य तक शामिल थे। इसी तरह पाक ने भी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर अपने खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाते हुए डोजियर तैयार कर लिया था। इसे वहां के तत्कालीन एनएसए सरताज अजीज ने मीडिया को दिखाया था।

लेकिन इस बार दिसंबर के पहले हफ्ते में बैंकाक में एनएसए स्तर की बातचीत में कोई डोजियर नहीं रखा गया। इसके बाद अफगानिस्तान पर बहुपक्षीय बातचीत के लिए इस्लामाबाद पहुंचीं विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज कोई डोजियर लेकर नहीं गई थीं। और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिना किसी डोजियर के नवाज शरीफ से मिलने पहुंच गए। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लंबे समय के तनावपूर्ण रिश्ते में दोनों देशों के पास एक-दूसरे से कई शिकायतें हैं। इन शिकायतों के साथ बातचीत शुरू करने में व्यावहारिक कठिनाई स्वाभाविक है।

जबकि एक बार बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाने के बाद संबंध सुधरने पर इन शिकायतों को धीरे-धीरे दूर किया जा सकता है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों की नई गरमाहट का स्वागत करते हुए कहा कि पाकिस्तान को यह समझाना पड़ेगा कि भारत विरोधी गतिविधियां उसके हित में भी नहीं हैं। पाकिस्तान को यह धीरे-धीरे समझ में भी आ रहा है। यही कारण है कि मोदी की यात्रा का वहां सभी ने पुरजोर समर्थन किया है।


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