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भारत के तरकश में हैं कितने तीर..!

देश की पहली अंतर महाद्वीपीय मिसाइल अग्नि 5 के सफलतम परीक्षण के बाद भारत दुनिया की पांच महाशक्तियों में शामिल हो गया। इसके बाद भारत ने जो इतिहास रचा है वह काबिले तारीफ है। गुरुवार को जो सफलता डीआरडीओ के जरिए भारत को मिली है उस सफलता ने भारतीय वैज्ञानिकों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों के तौर पर प्रतिष्ठित किया है।

By Edited By: Published: Thu, 19 Apr 2012 10:51 AM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2012 11:06 AM (IST)
भारत के तरकश में हैं कितने तीर..!

नई दिल्ली [कमल कान्त वर्मा]। देश की पहली अंतर महाद्वीपीय मिसाइल अग्नि 5 के सफलतम परीक्षण के बाद भारत दुनिया की पांच महाशक्तियों में शामिल हो गया। इसके बाद भारत ने जो इतिहास रचा है वह काबिले तारीफ है। गुरुवार को जो सफलता डीआरडीओ के जरिए भारत को मिली है उस सफलता ने भारतीय वैज्ञानिकों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों के तौर पर प्रतिष्ठित किया है।

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अपने नियत स्थान व्हीलर द्वीप से छूटने के बाद करीब बीस मिनट बाद इस मिसाइल ने अपने निशाने को तबाह कर दिया। अभी इसके दो परीक्षण किए जाने हैं जिसके बाद यह वर्ष 2015 तक सेना में शामिल हो जाएगी। इसके साथ ही भारत के तरकश में अब पृथ्वी, अग्नि, बहृमोस समेत कई तीर आ गए हैं।

इस सफल परीक्षण के बाद भारत ने अपने दम पर वह तकनीक विकसित की है जिसको तकनीकी भाषा में एमआईआरवी [मल्टीपल इंडीपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल] कहा जाता है। इस तकनीक के जरिए भारत की अग्नि 5 पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलकर दोबारा इसमें प्रवेश करती है। इसके अलावा यह मिसाइल तीन अलग अलग ठिकानों पर एक ही समय में अचूक निशाना लगापाने में पूरी तरह से सक्षम है। अभी तक यह तकनीक रूस, चीन, फ्रांस और अमेरिका के पास ही थी। लेकिन अब भारत ने यह तकनीक विकसित करने दुनिया को दिखा दिया है कि वह किसी से डरने वाला नही है, क्योंकि उसके पास में अब अग्नि 5 मौजूद है।

परमाणु ताकत बनने के बाद से ही भारत इस दिशा में लगातार कर रहा था। लगातार कई सफल और विफल परीक्षण के बाद गुरुवार को भारत को यह अभूतपूर्व सफलता मिली है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि परमाणु ताकत बन जाना एक अलग मुद्दा है और परमाणु ताकत का इस्तेमाल करना बिल्कुल अलग है। अभी तक भारत के पास परमाणु हथियार बनाने की क्षमता जरूर थी लेकिन उन हथियारों को दूर तक ले जाने की क्षमता अग्नि 5 के साथ पूरी हो गई है।

दरअसल अग्नि और पृथ्वी दोनों ही मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। लेकिन एमआईआरवी तकनीक के जरिए लक्ष्य भेदन की तकनीक इसी मिसाइल में है। अग्नि 5 मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलकर दुश्मन की निगाहों और उसके उपग्रहों से ओझल होकर वापस वायुमंडल में प्रवेश करती है। अपने तय निशाने की जानकारी होने के बाद इसका अंतिम और तीसरा चरण शुरू होता है। एक से ज्यादा लक्ष्य होने की सूरत में इसका वारहेट अर्थात जहां पर परमाणु हथियार मौजूद होते हैं वह अलग हो जाता है और अपने अपने निशाने की तरफ मिसाइलें आगे बढ़ जाती हैं। हालांकि अभी सेना में शामिल होने से पहले इसके कुछ और परीक्षण होंगे और हर परीक्षण में शतप्रतिशत सफल होने के बाद ही इसे सेना में शामिल किया जाएगा।

गौरतलब है कि भारत को अपने पड़ोसी देश चीन से लगातार खतरा बना हुआ था। चीन लगातार भारत के इर्दगिर्द अपना दायरा बढ़ा रहा था। इसके चलते यह जरूरी था कि भारत के पास उसकी मार के लिए कोई हथियार मौजूद हो जो कि गुरुवार को मिल गया। अग्नि 5 की एक बड़ी सफलता यह भी है कि यह मिसाइल दूर अंतरिक्ष में स्थापित दुश्मन के उपग्रह को भी नष्ट कर सकती है।

अग्नि पांच तीन चरणों की मिसाइल है। तीन चरणों से अर्थ है कि एक के बाद होने वाला हर दूसरा चरण इसको अधिक गति और दिशा देने वाला होता है। इस मिसाइल परीक्षण के दौरान अग्नि 5 का हर चरण अपने नियत समय पर हुआ।

8 जनवरी 2008 में इसके तीसरे परीक्षण के बाद इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल प्रोग्राम को बंद कर दिया गया।

भारत के तरकश में अब कई तीर

अग्नि 5 के जरिए भारत ने गुरुवार को अग्नि 5 के सफल परीक्षण से जिस इतिहास को रचने में कामयाबी हासिल की है उसका कहानी दरअसल 1980 में इंटीग्रेटिड गाइडेड मिसाइल डेवलेपमेंट प्रोग्राम से शुरू हुई थी।

भारत के मिसाइल प्रोग्राम के तहत अब उसके तरकश में अब पृथ्वी, अग्नि, बहृमोस, आकाश, अस्त्र, धनुष, नाग समेत कई मिसाइल हैं जो दुश्मन को तबाह करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।

1988 में जब भारत ने अपनी पहली मिसाइल पृथ्वी का सफल परीक्षण किया था तब भारतीय वैज्ञानिकों को यह पूरी उम्मीद थी वह एक दिन ऐसी मिसाइल बना लेंगे जो दुनिया के किसी भी कोने में बैठे दुश्मन को तबाह करने में सक्षम होगी।

पृथ्वी पूरी तरह से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। तीन सौ से सात सौ किमी दूरी की इस मिसाइल को कम दूरी की मारक क्षमता के लिए बनाया गया था। इसकी मारक क्षमता यूं तो महज डेढ़ सौ किमी ही थी लेकिन इसके जरिए भारतीय वैज्ञानिकों ने जिस राह पर कदम जमाए उसके जरिए ही वह गुरुवार को अग्नि 5 के सफल परीक्षण के बाद पांच हजार किमी के पार निकल सके हैं। सिंगल स्टेज की इस मिसाइल की पेलोड क्षमता एक हजार किमी की है। पृथ्वी की तीनों ही सीरीज टेक्टिकल मिसाइल हैं।

पृथ्वी : अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल : 8 हजार- 12 हजार किमी

पृथ्वी टेक्टिकल मिसाइल : परमाणु हमले में सक्षम 150 किमी की दूरी वाली इस मिसाइल में एक हजार किलोग्राम पेलोड क्षमता है। 1988 में शामिल हुई।

पृथ्वी 2 : परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी 2 की रेंज बढ़ाकर भारत ने पांच सौ से सात सौ किमी करने में सफलता हासिल की और इसका 1996 में इसका सफलतम परीक्षण करके इसको सेना में शामिल किया गया।

पृथ्वी 3 : इस मिसाइल की मारक क्षमता को बढ़ाकर पांच सौ से एक हजार किमी किया गया। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी 3 सिंगल स्टेज की मिसाइल थी। इसके सफलतम परीक्षण के बाद इसको 2004 में सेना में शामिल किया गया। इसकी पेलोड क्षमता को भी बढ़ाकर सात से आठ हजार किमी कर दिया गया। 5600 किग्रा वजनी इस मिसाइल ने भारत की सामरिक स्थिति में बड़ा इजाफा किया।

अग्नि : जमीन से जमीन पर वार करने वाली मिसाइल : स्ट्रेटेजिक मिसाइल : सिंगल स्टेज की मिसाइल की रेंज सात सौ से आठ सौ किमी है। इसको 2002 में सेना में शामिल किया गया।

अग्नि 2 : हजार किग्रा पेलोड ले जाने में सक्षम इस मिसाइल की रेंज दो हजार से तीन हजार किमी है। दो स्टेज वाली इस मिसाइल का 1999 में सफल परीक्षण किया गया था।

अग्नि 3 : दो हजार से ढाई हजार किग्रा पेलोड ले जाने में सक्षम इस मिसाइल की रेंज तीन से पांच हजार किमी है। पिछले वर्ष ही इसका सफलतम परीक्षण किया गया है। अग्नि 3 इंटरमीडिएट रैंज बैलेस्टिक मिसाइल : 9 जुलाई 2007 को सफल परीक्षण।

अग्नि 4 : इसकी रेंज आठ सौ से एक हजार किग्रा पेलोड की है। यह तीन हजार किमी से पांच हजार किमी तक की दूरी तक वार करने में पूरी तरह से सक्षम है। इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है।

अग्नि 5 : 19 अप्रैल 2012, गुरुवार को सफल परीक्षण किया गया।

आकाश : जमीन से हवा में वार करने वाली मिसाइल

अस्त्र : हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल

त्रिशूल : जमीन से हवा में वार करने वाली मिसाइल

नाग : एंटी टैंक मिसाइल

बहृमोस : सुपरसोनिक क्रुज मिसाइल : 2006 समुद्र, हवा और जमीन से वार करने में सक्षम, पनडुब्बी से भी दागी जा सकती है। यह दुनिया की सबसे तेज चलने वाली मिसाइल है। अमेरिका की सबसोनिक कु्रज मिसाइल से आधा समय लेती है।

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