देवयानी मामले में सिर्फ खेद से संतुष्ट नहीं भारत
भारत की ओर से बढ़े दबाव के बाद महिला राजनयिक देवयानी खोबरागडे मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन को फोन कर भले ही खेद जता दिया हो, लेकिन सरकार इतने भर से संतुष्ट नहीं है। पूरी तरह से राजनीतिक जमात का समर्थन पाने के बाद सरकार देवयानी के खिलाफ चल रहे मामले को खत्म करने की मांग पर अडिग है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने स्पष्ट कर दिया है कि खेद से हटकर अमेरिका को देवयानी पर लगाए मामले वापस लेने चाहिए।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत की ओर से बढ़े दबाव के बाद महिला राजनयिक देवयानी खोबरागडे मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन को फोन कर भले ही खेद जता दिया हो, लेकिन सरकार इतने भर से संतुष्ट नहीं है। पूरी तरह से राजनीतिक जमात का समर्थन पाने के बाद सरकार देवयानी के खिलाफ चल रहे मामले को खत्म करने की मांग पर अडिग है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने स्पष्ट कर दिया है कि खेद से हटकर अमेरिका को देवयानी पर लगाए मामले वापस लेने चाहिए। सरकार का साथ देते हुए मुख्य विपक्षी भाजपा ने अमेरिका पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप जड़ दिया है। भारत ने भारतीय मूल के अमेरिकी अधिवक्ता प्रीत भरार को आड़े हाथ लेते हुए मामले में उनकी सफाई को सिरे से खारिज कर दिया है। वहीं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी मामले पर नजर रखे हुए हैं।
देवयानी मामले पर अमेरिका और भारत की तकरार तेज हो गई है। एक तरफ अमेरिका ने देवयानी की घरेलू सहायिका संगीता रिचर्ड के पूरे परिवार को अमेरिका बुला लिया है। वहीं, सरकार से लेकर विपक्ष तक ने अमेरिका पर देवयानी के खिलाफ षड्यंत्र का आरोप जड़ दिया है। गुरुवार को खुर्शीद ने कहा कि उन्होंने खुद सारे कागजात देखे हैं। वह कह सकते हैं कि देवयानी पर कोई मामला नही बनता है। इस मामले को बढ़ाने का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि वह कोई शर्त नहीं रख रहे हैं, लेकिन अमेरिका से एक भारतीय राजनयिक के प्रति नरम रवैये की उम्मीद करते हैं। विदेश मंत्रालय ने अधिवक्ता भरार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि संगीता के खिलाफ भारत में एक मामला चल रहा है। ऐसे में सुरक्षा का नाम देकर उसके परिवार को अमेरिका ले जाना न्यायसंगत नहीं है। पहले भारत में कानूनी कार्रवाई पूरी होनी चाहिए थी। मंत्रालय ने मामले पर भरार की सफाई को भी बिंदुवार खारिज किया है।
देवयानी मामले पर अमेरिकी दूतावासों के बाहर प्रदर्शन
भारत सरकार ने बुधवार को ही देवयानी को संयुक्त राष्ट्र स्थित भारत के स्थायी मिशन में स्थानांतरित कर अपनी ओर से स्थिति दुरुस्त कर ली है। अब कूटनीतिक संबधों पर वियना संकल्प, 1961 के तहत देवयानी सभी राजनयिक विशेषाधिकारों और छूटों की हकदार हो गई है। अब तक अमेरिका की ओर से यह दलील दी जा रही थी कि वाणिज्य दूतावास में होने के कारण वह सभी छूट की हकदार नहीं हैं। मामले की नाजुकता को देखते हुए दोनों देशों के शीर्ष नेता मनमोहन सिंह और बराक ओबामा भी नजर बनाए हुए हैं। जहां मनमोहन ने खुर्शीद और मेनन को मामला निपटाने और देवयानी को वापस लाने के लिए हरसंभव कदम उठाने के निर्देश दे दिए हैं। वहीं, ओबामा को भी पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई, जिसके बाद अमेरिका की ओर से कहा गया कि इस मामले की वजह से दोनों देशों के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पिछले कुछ दिन के घटनाक्रम में सरकार ने जहां खुद सक्रिय होकर अमेरिका को सख्त संदेश दिया है, वहीं विपक्ष ने भी बल बढ़ाया है और सतर्क भी किया है। पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने सरकार को आगाह किया था कि सख्त कार्रवाई के बाद ऐसा कोई कदम न उठाया जाए जिससे जनता की नजरों में गिरने का डर हो। वहीं, गुरुवार को भी भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने सरकार का साथ निभाते हुए अमेरिका को आड़े हाथ लिया। उन्होंने याद दिलाया कि अमेरिका का एक राजनयिक पाकिस्तान में हत्या का आरोपी था। उसे एक हफ्ते के अंदर अमेरिका वापस ले जाया गया था। भारत में अमेरिकी राजनयिक के साथ देवयानी के मुकाबले कम दुर्व्यवहार भी हुआ होता तो उनका रुख कुछ और होता।
'देवयानी का मामला ऐसा नहंी है, जिसे पलटा न जा सके। हमें पूरी संवेदनशीलता के साथ मामले से निपटना होगा। मामले को न बढ़ाते हुए खोबरागडे के खिलाफ केस वापस लिया जाना चाहिए।'
-सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री
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