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    क्‍या दिल्‍ली की तरह दूसरे राज्‍यों में भी लगेगा मोदी को झटका!

    By T empEdited By:
    Updated: Wed, 11 Feb 2015 10:39 AM (IST)

    दिल्‍ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी शिकस्‍त के बाद मोदी विरोधी दलों के आशा की किरण जाग गई है। लेकिन क्‍या दिल्‍ली की तरह दूसरे राज्‍यों में भी मोदी को ऐसा झटका लगेगा? क्‍या बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को हराया जा

    नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद मोदी विरोधी दलों के आशा की किरण जाग गई है। लेकिन क्या दिल्ली की तरह दूसरे राज्यों में भी मोदी को ऐसा झटका लगेगा? क्या बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को हराया जा सकता है? अब ये सवाल मोदी के साथ-साथ उनकी विरोधी पार्टियों के सामने भी खड़ा हो गया है।

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    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि दिल्ली चुनावों के नतीजों का प्रभाव दूसरे राज्यों में होने वाले विधानसभा में देखने को जरूर मिलेगा। लेकिन क्या दूसरे राज्यों में भी दिल्ली जैसे परिणाम देखने को मिलेंगे ऐसा लगता नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बने अभी चंद साल हुए हैं। अभी 'आप' के नेताओं को लोग अच्छी तरह जानते नहीं हैं। लेकिन बिहार में ऐसा नहीं है, वहां जनता नेताओं की रग-रग से वाकिफ है।

    नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान के दौरान कहा था, 'जो देश का मूड है, वही दिल्ली का मूड है।' अब जबकि दिल्ली ने आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें और 54 फ़ीसदी वोट दे दिया है, प्रधानमंत्री निश्चित तौर पर सोच रहे होंगे कि देश के दूसरे हिस्सों में बन रहे मूड के लिए इसके क्या मायने हैं। किसी भी तरह का बदलाव के अभाव में इस बात का ख़तरा है कि भाजपा की नाकारत्मक और संकीर्ण भावनाएं और तेज़ हो सकती हैं। जहां तक विपक्ष की बात है, हर एक के मन में यही बात होगी कि मोदी लहर को रोकने के आम आदमी पार्टी के कारनामे को वे कैसे दुहरा सकते हैं।

    क्या बिहार में ऐसी ही स्थितियां दुहराई जा सकती हैं? शायद हां, यदि जनता दल यूनाईटेड और राष्ट्रीय जनता दल एकजुट और मजबूत बने रहें और अतीत के खराब शासन के रिकार्ड को दुरुस्त करें। लेकिन पश्चिम बंगाल में तृणमूल और वाम दलों की जगह उसी तीसरे विकल्प की भूमिका में खुद को देख रही है, जो दिल्ली में आप ने निभाई और संभव है कि वो सफल रहे।

    हालांकि मोदी विरोधी पार्टियों में आम आदमी पार्टी की जीत ने हौसला भर दिया है। स्थानीय पार्टियों को लगने लगा है कि मोदी रथ को रोकना मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन बिल्कुल नहीं। नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर ने ट्वीट कर कहा, इसमें अब कोई दो राय नहीं है कि यदि आप लड़ें तो मोदी और भाजपा को हराना नामुमकिन नहीं है। गलतियों का इंतजार मत कीजिए। अब यह मोदी विरोधी पार्टियों पर निर्भर करता है कि वे कैसे मोदी लहर को रोकते हैं।

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