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दिल्ली में सरकार बनाने को तैयार भाजपा

पिछले छह महीनों से असमंजस में उलझी दिल्ली को जल्द ही नई सरकार मिल जाएगी। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर भाजपा ने अब सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों ने जहां भाजपा नेतृत्व से संपर्क साधकर सरकार बनाने की अपील की है।

By Edited By: Published: Sat, 06 Sep 2014 04:28 PM (IST)Updated: Sat, 06 Sep 2014 09:31 PM (IST)
दिल्ली में सरकार बनाने को तैयार भाजपा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पिछले छह महीनों से असमंजस में उलझी दिल्ली को जल्द ही नई सरकार मिल जाएगी। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर भाजपा ने अब सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों ने जहां भाजपा नेतृत्व से संपर्क साधकर सरकार बनाने की अपील की है। वहीं दो निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के पक्ष में समर्थन पत्र भी तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि अब सिर्फ उपयुक्त समय का इंतजार है। पूरी संभावना है कि प्रदेश भाजपा के पुराने नेता जगदीश मुखी भाजपा का चेहरा होंगे।

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शुरूआत में सरकार गठन से इनकार कर चुकी भाजपा ने अब निर्णय ले लिया है। खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसका संकेत दे दिया है। शाह ने एक चैनल के सवाल जवाब में जहां यह स्पष्ट कर दिया कि बड़ी पार्टी के तौर पर सरकार बनाना अनैतिक नहीं है। वहीं राजनाथ ने भी एक सवाल के जवाब में कहा कि उपराज्यपाल की ओर से सरकार बनाने के लिए निमंत्रण आता है तो पार्टी उस पर विचार करेगी। गौरतलब है कि उपराज्यपाल नजीब जंग ने कुछ दिनों पूर्व इस आशय का एक प्रस्ताव राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजा था। राष्ट्रपति ने रिपोर्ट गृहमंत्रालय को भेजी और मंत्रालय उपराज्यपाल से सहमत है। जाहिर है कि भाजपा ने अब मन बना लिया है।

सूत्रों की मानें तो एनसीटी एक्ट के विशेष प्रावधानों के तहत विधायकों के गुप्त मतदान से मुख्यमंत्री चुनने का विकल्प खुला है। इसके तहत विधायक मुख्यमंत्री के लिए नेता का चुनाव कर लेंगे और उसे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी जाएगी। इस मामले में विश्वासमत हासिल करने की जरूरत भी नहीं होती है। हालांकि कांग्रेस और आप ने इसका खुलकर विरोध किया है।

दूसरी तरफ आंकड़ों को भी दुरुस्त किया जा चुका है। बताते हैं कि दो निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन पत्र तैयार कर लिया है। जबकि आप के कुछ विधायक सरकार गठन में रोड़ा अटकाने के पक्ष में नहीं हैं। ध्यान रहे कि सरकार गठन की कवायद का विरोध करने राष्ट्रपति तक गए आप प्रतिनिधिमंडल में पांच गैर मौजूद थे। संभव है कि वोटिंग हुई तो भी वह गैर मौजूद रहकर बहुमत का जरूरी आंकड़ा कम कर देंगे। यह भी संभव है कि आप के कुछ विधायक अपने नेतृत्व से नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दे दें। ध्यान रहे कि फिलहाल 67 विधायकों के विधानसभा में भाजपा और अकालीदल के 29 विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों के समर्थन से भाजपा 31 के आंकड़े पर होगी। अगर आप के नाराज चार-पांच विधायक गैर मौजूद रहे तो बहुमत का जरूरी आंकड़ा 31 के आसपास ही होगा।

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