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पूर्व कानून मंत्री ने कहा, बिना गलती दिया इस्तीफा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस आलाकमान के दबाव में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने पर मजबूर हुए अश्विनी कुमार अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं। आलाकमान के इशारे पर इस्तीफे की बात स्वीकार कर उन्होंने परोक्ष रूप से इशारा कर ही दिया कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अनावश्यक विवाद को खत्म करने के लिए इस्तीफा दिया है और कोयला घोटाले में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट को देखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है।

By Edited By: Published: Sat, 11 May 2013 12:41 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2013 07:00 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस आलाकमान के दबाव में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने पर मजबूर हुए अश्विनी कुमार अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं। आलाकमान के इशारे पर इस्तीफे की बात स्वीकार कर उन्होंने परोक्ष रूप से इशारा कर ही दिया कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अनावश्यक विवाद को खत्म करने के लिए इस्तीफा दिया है और कोयला घोटाले में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट को देखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है।

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नाटकीय घटनाक्रम के बाद बड़ी मुश्किल से शुक्रवार की रात प्रधानमंत्री को इस्तीफा देकर आए अश्विनी कुमार दूसरे दिन मीडिया के सामने आए तो बिल्कुल 'शहीद' के अंदाज में। बकौल अश्विनी कुमार, 'मैंने माननीय प्रधानमंत्री को उनकी टीम का हिस्सा बनने का अवसर दिए जाने के लिए शुक्रिया अदा करते हुए शुक्रवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया।'

फिर इस्तीफा क्यों दिया.? इस पर उनका जवाब था कि 'मैंने ऐसा एक मामले में अनावश्यक विवाद को खत्म करने के लिए किया जो माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है और जिसमें किसी भी तरह मेरे खिलाफ कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई है। मेरी अंतरात्मा साफ है और मेरा मानना है कि मैं दोषमुक्त साबित होऊंगा। विधि का विधान है कि सच और न्याय की जीत होती है।'

इस भावनात्मक और दर्शनात्मक टिप्पणी के बाद अश्विनी कुमार की पीड़ा छिपाते-छिपाते भी उभर ही आई। मजबूरी में दिए गए इस्तीफे की टीस को दबाते-दबाते भी वह कह गए कि कुछ राजनीतिक फैसले ऐसे होते हैं, जिन्हें जरूरी माना जाता है और उन्होंने वह किया जो प्रधानमंत्री तथा पार्टी आलाकमान को उचित लगा।' यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है, कुमार ने टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। लेकिन कहा कि वह चाहेंगे कि लोग फैसला करें।

वैसे शुक्रवार को अश्विनी कुमार से इस्तीफा लेने में प्रधानमंत्री और कांग्रेस को नाकों चने चबाने पड़ गए। रेल मंत्री पवन बंसल ने तो फोन आने के बाद तुरंत इस्तीफा सौंप दिया। मगर अश्विनी कुमार का कहना था कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने जब दो टूक कहा कि फैसला हो चुका है और अब गुंजाइश नहीं है, तब जाकर वह मुश्किल से माने।

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