आसमान से बरसी आफत, 69 मरे
मानसून की आमद जनजीवन पर कहर बनकर टूटी है। आसमान से बरसी आफत और भूस्खलन से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश कराह उठे हैं। जहां तक नजर जा रही है-वहां तक बर्बादी के मंजर फैले हुए हैं। बदहवास लोग समझ नहीं पा रहे क्या करें?
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। मानसून की आमद जनजीवन पर कहर बनकर टूटी है। आसमान से बरसी आफत और भूस्खलन से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश कराह उठे हैं। जहां तक नजर जा रही है-वहां तक बर्बादी के मंजर फैले हुए हैं। बदहवास लोग समझ नहीं पा रहे क्या करें? सोमवार शाम तक मृतक संख्या 69 पहुंच चुकी है, करीब सौ लोग लापता हैं। सैकड़ों मकान जमींदोज हो चुके हैं। केदारनाथ में बादल फटा है। वहां का रामबाड़ा बाजार तबाह हो गया है। शुक्र है पवित्र मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
तस्वीरों में देखें: पानी ने कैसे बरपाया कहर
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सरकार ने मृतकों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कंट्रोल रूम के नंबर जारी किए हैं।
0135-2710334
0135-2710335
0135-2710233
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हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में भी बादल फटा है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत तीनों प्रदेशों में 50 हजार से ज्यादा लोग पानी में फंसे हुए हैं। खराब मौसम के चलते मुख्यमंत्री को नहीं निकाला जा सका। हरियाणा का यमुनानगर जिला और उससे सटे इलाके भी बाढ़ की चपेट में हैं। वहां सेना की मदद से अभी तक 50 से ज्यादा लोगों को निकाला जा चुका है, अभी इतने और लोग फंसे हुए हैं। प्रभावित इलाकों में खराब मौसम के चलते संचार व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई हैं और राहत सामग्री लिए हेलीकॉप्टर भी नहीं उड़ पा रहे।
उत्तराखंड में तबाही का मंजर
देहरादून। शनिवार से जारी बारिश ने उत्तराखंड में जबरदस्त कहर बरपाया है। गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी जिले सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं, जबकि हरिद्वार और देहरादून के कई इलाकों में पानी भरा हुआ है। सड़कें, पुल, झूला पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त होने से मंडल के सैकड़ों गांव और कस्बे शेष दुनिया से कट गए हैं। सौ से अधिक भवन उफनती नदियों में समा चुके हैं। आपदा से रुद्रप्रयाग में 11, देहरादून में चार, टिहरी में नौ, उत्तरकाशी में दो और कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले में पांच लोगों की मौत हो गई। रविवार से अब तक उत्तराखंड में कुल 39 लोगों की मौत हो गई है।
रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ में बादल फटने और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा मेंहुए भूस्खलन से करीब एक दर्जन दुकानें ध्वस्त हो गई। अभी तक केदारनाथ में 11 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि रामबाड़ा में 50 से अधिक के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन के मुताबिक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन वहां पर करीब तीन हजार तीर्थ यात्रियों के फंसे होने की सूचना है। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान पर बह रही है। चार धाम यात्रा ठप है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। शासन से मिली रिपोर्ट के अनुसार यात्रा मार्गो पर विभिन्न जगहों के करीब 40 हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं।
रुद्रप्रयाग जिले मेंहालात गंभीर हो गए हैं। मंदाकनी नदी में आए उफान से जिले के सोन प्रयाग, चंद्रापुरी और अगस्त्यमुनि का बड़ा भाग का जलमग्न हो गए। चमोली जिले के हालात भी अलग नहीं हैं। हेमकुंड साहिब के पास गोविंदघाट में अलकनंदा में आई बाढ़ में करीब बीस वाहनों के बहने की सूचना है। इसके अलावा बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त होने से बदरीनाथ शहर में दस हजार, हेमकुंड साहिब में सात हजार और रास्ते में करीब 15 हजार श्रद्धालुओं के फंसने की सूचना है। सभी यात्री सुरक्षित बताए गए हैं। पिथौरागढ़ में सेना की 14 बैरक बह गई, जबकि ट्रांजिट कैंप क्षतिग्रस्त हो गया।
हिमाचल के किन्नौर में कहर
शिमला। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले किन्नौर के सांगला, पूह, टापरी व विभिन्न हिस्सों में सोमवार तड़केबादल फटने, भूस्खलन व बाढ़ से 10 लोगों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री वीरभद्र समेत डेढ़ हजार से अधिक सैलानियों के फंसने की सूचना है। इनमें दो दर्जन से ज्यादा विदेशी भी हैं। सेना के हेलीकॉप्टर ने मुख्यमंत्री को निकालने के लिए दो बार वहां पर लैंडिंग की कोशिश की लेकिन लगातार बारिश के चलते वह सफल नहीं हो सका। किन्नौर में कुदरती कहर के बाद सरकार ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। मुख्य सचिव सुदृप्त राय ने बताया है कि किन्नौर में राहत कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है। स्थिति से निपटने के लिए सेना, अर्द्धसैनिक बल व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की सहायता ली जा रही है। किन्नौर के अतिरिक्त प्रदेश के सिरमौर और लाहुल स्पीति जिलों की भी हालत खराब है।
पश्चिमी उप्र में भारी बारिश
लखनऊ। बारिश ने उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से की हालत खराब कर दी है। पिछले 24 घंटे में सर्वाधिक 20 सेंटीमीटर बारिश सहारनपुर में रिकॉर्ड की गई। वहां पर मकान ढहने की घटनाओं में 20 लोग मारे गए हैं। बिजनौर में भी कई गांवों के गंगा के पानी से घिरने की खबर है। वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने बाढ़ में फंसे 50 लोगों की जान बचाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पहुंचाया है। बाढ़ की आशंका से वाराणसी, बरेली, कानपुर, एटा, हापुड़, आगरा, फैजाबाद, गोरखपुर, बिजनौर, सहारनपुर और मीरजापुर में आपदा प्रबंधन बल की कंपनियां तैनात की गई हैं। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में प्रदेश में भारी बारिश की आशंका जताई है।
क्या है बादल का फटना
थोड़े समय के लिए यकायक भारी बारिश को बादल का फटना कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह घटना किसी विशेष क्षेत्र की विशेष भौगोलिक जलवायु में होती है। इस प्रक्रिया में निचले स्तर से जाने वाली नम तूफानी हवाएं ऊपर उठती हैं। आकाश में काफी ऊंचाई पर जाकर कभी-कभी इन हवाओं का बहाव यकायक रुक जाता है और इनमें संचित जल भरभराकर जमीन के एक खास हिस्से में गिरता है। इस पूरी घटना का प्राथमिक कारण आसमान में तेजी से छोटे-छोटे बादलों का घनीभूत होना है। मुख्य रूप से यह घटनाएं शुष्क स्थानों जैसे मरुस्थल और पहाड़ों से घिरे क्षेत्रों में होती है। अक्सर बादल फटने की घटना के साथ तेज तूफान, ओलावृष्टि और बर्फबारी भी होती है।
धारचूला में भूकंप के झटके
पिथौरागढ़। उत्तराखंड में आसमान से कहर नहीं बरपा है बल्कि धरती पर लोगों में कंपकंपी पैदा कर रही है। धारचूला में रविवार की मध्य रात्रि के बाद तीन बार भूकंप के झटके आए। भारी वर्षा और काली नदी के कोप से भयभीत धारचूलावासियों को रात को तीन बार भूकंप के झटकों का सामना करना पड़ा। मध्य रात्रि के बाद एक बजे के करीब पहला भूकंप का झटका आया, बीस मिनट बाद दूसरा और 40 मिनट बाद तीसरा झटका महसूस किया गया। तीन बार भूकंप के झटके महसूस होने से कुछ लोग मकान छोड़कर घरों से बाहर निकल आए और बारिश में भीगते रहे। प्रशासन के अनुसार भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर तीन मेग्नीट्यूट मापी गई है।
आइजीआइ एयरपोर्ट पर सामान्य हुई सेवाएं
नई दिल्ली। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (आइजीआइ) पर रविवार को बारिश का पानी भर जाने के कारण बंद हुई सेवाएं सोमवार को दोबारा शुरू हो गईं। बरसाती पानी ओवरफ्लो होकर टर्मिनल-3 के डोमेस्टिक साइड में भर गया था, जिसकी वजह से वहां स्थित तीन कनवेयर बेल्ट और लिफ्ट बंद हो गईं थी। नतीजतन यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था। वहीं टर्मिनल थ्री मेट्रो स्टेशन पर एक्सलेटर काम नहीं कर रहे थे। इसके बावजूद मेट्रो सेवा पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
डायल (दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड) के मुताबिक, रविवार को एयरपोर्ट क्षेत्र में दोपहर बाद चार घंटे में 117 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई थी। ज्यादा बारिश होने से ड्रेन से पानी की निकासी नहीं हो पाई थी। जिससे एयरपोर्ट पर पानी भर गया था। वहीं विश्वस्तरीय आइजीआइ एयरपोर्ट पर बार-बार आ रही जलभराव की समस्या से सवाल उठने शुरू हो गए हैं। विशेषज्ञ एयरपोर्ट के निर्माण में ही खामी निकाल रहे हैं।
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