आतंकी छोड़ने पर तुली है यूपी सरकार: हाई कोर्ट
उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैजाबाद, लखनऊ और वाराणसी की अदालतों में हुए धमाकों के आरोपी आतंकियों से मुकदमे वापसी की प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार जिस तरीके से आतंकियों के मुकदमे वापस लेकर उन्हें छोड़ने पर आमादा है, उससे आम लोगों का जीना दूभर हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैजाबाद, लखनऊ और वाराणसी की अदालतों में हुए धमाकों के आरोपी आतंकियों से मुकदमे वापसी की प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार जिस तरीके से आतंकियों के मुकदमे वापस लेकर उन्हें छोड़ने पर आमादा है, उससे आम लोगों का जीना दूभर हो जाएगा।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और महेंद्र दयाल की पीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मामले को बड़ी पीठ को संदर्भित कर दिया है। याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने पीठ को बताया कि समान मामले और मांग वाली जनहित याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट खारिज कर चुकी है। अत: इस याचिका को भी रद किए जाए।
रंजना अग्निहोत्री समेत छह लोगों की ओर पेश याचिकाओं में कहा गया कि राज्य सरकार कानून के मुताबिक, आरोपियों से मुकदमे वापस नहीं ले सकती। तर्क दिया गया कि आतंकी अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम व केंद्रीय अधिनियम के तहत पकड़े गए व जेल में निरुद्ध अभियुक्तों को बिना केंद्र सरकार की अनुमति के सीधे राज्य सरकार बरी नहीं कर सकती।
याचीगणों ने याचिका दायर कर सीआरपीसी की धारा 321 की वैधता को भी चुनौती दी है। धारा 321 में राज्य सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह मुकदमा वापस ले सकती है। केंद्र सरकार की ओर से पीठ को बताया कि इस मामले में केंद्र सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गई है।
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