हरियाणा भाजपा कार्यालय वाले हरित क्षेत्र का मूल स्वरूप बहाल करने का निर्देश, लगाने होंगे काटे गए 40 पेड़
जस्टिस जेबी पार्डीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुधवार को 1971 के युद्ध के एक पूर्व सैनिक के लिए उपस्थित अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह की दलीलों से ...और पढ़ें

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने करनाल में नए भाजपा कार्यालय के संपर्क मार्ग के लिए काटे गए 40 पेड़ों के मामले में उसकी जमीन के आवंटन के विषय को दरकिनार कर दिया।
जबकि वहां की रिहायशी कालोनी के मूल हरे-भरे स्वरूप को तीन में महीने में हरियाणा शहरी निकाय को बहाल करने का निर्देश दिया है। हरियाणा सरकार ने अदालत को काटे गए पेड़ों की संख्या के अनुपात में नए पेड़ लगाने का आश्वासन दिया है।
जस्टिस जेबी पार्डीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुधवार को 1971 के युद्ध के एक पूर्व सैनिक के लिए उपस्थित अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह की दलीलों से सहमति जताई कि भाजपा कार्यालय के लिए संपर्क मार्ग बनाने के लिए अवैध रूप से पेड़ काटे गए थे।
पीठ हरियाणा सरकार के लिए उपस्थित अतिरिक्त सालिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी की इस दलील से संतुष्ट नहीं थी कि आवंटन के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां ली गई थीं और सभी हरित मानदंडों का पालन किया गया था।
उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि काटे गए पेड़ों की संख्या के अनुपात में नए पेड़ लगाए जाएंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) और करनाल नगर निगम को तीन महीने का समय दिया है कि वे एक आवासीय कालोनी में हरे क्षेत्र को उसके मूल स्वरूप में बहाल करें।
हालांकि, अदालत ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट एक आवासीय कालोनी में भाजपा की करनाल इकाई को भूमि आवंटन की वैधता के बड़े प्रश्न पर विचार करने से इन्कार कर दिया, यह कहते हुए कि इस प्रश्न पर विचार करने के लिए बहुत देर हो चुकी है।
सर्वोच्च न्यायालय एक 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिक द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसने 3 मई को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा उसकी याचिका को खारिज करने के खिलाफ चुनौती दी थी। कर्नल (सेवानिवृत्त) दविंदर सिंह राजपूत ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से सेक्टर 9, शहरी संपत्ति, करनाल में एक हजार वर्ग गज का एक प्लाट खरीदा था।
याचिकाकर्ता को 10 मीटर चौड़ी पगडंडी बनाने के लिए हरे क्षेत्र में 40 पेड़ों के काटने से भी आघात पहुंचा है, जो याचिकाकर्ता के घर के सामने 100 मीटर के हरे क्षेत्र में है। याचिकाकर्ता ने 36 वर्ष पहले अपने प्लाट के सामने हरे क्षेत्र के लिए 10 प्रतिशत प्राथमिकता-स्थान शुल्क (पीएलसी) का भुगतान किया था।

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