13 साल की नौकरी में 10 साल तक खतरों के बीच रहे हैं हनुमनथप्पा
सियाचिन में छह दिन तक बर्फ में दबे रहने के बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमथप्पा मौत से लड़कर उसे मात देने का आदी हैं। अपने तेरह साल के सर्विस करियर के दौरान कर्नाटक के निवासी हनुमथप्पा ने दस साल आतंकवाद से लड़ते हुए बिताए हैं।
जम्मू, जागरण ब्यूरो। सियाचिन में छह दिन तक बर्फ में दबे रहने के बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमथप्पा मौत से लड़कर उसे मात देने का आदी हैं। अपने तेरह साल के सर्विस करियर के दौरान कर्नाटक के निवासी हनुमथप्पा ने दस साल आतंकवाद से लड़ते हुए बिताए हैं।उन्होंने न सिर्फ जम्मू कश्मीर अपितु उत्तर पूर्व में भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान में हिस्सा लेकर कई बार मौत को मात दी।
हनुमथप्पा 25 अक्टूबर 2002 को 19 मद्रास रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। वर्ष 2003 से 2006 के बीच उन्होंने रियासी के माहौर में आतंकवाद से लड़ाई लड़ी। इसके बाद उन्होंने दूसरी बार भी राष्ट्रीय राइफल्स में शामिल होकर आतंकवाद से लड़ने की ख्वाहिश जताई। वर्ष 2008 से 2010 के बीच वह 54 राष्ट्रीय राइफल्स में रहे।
राष्ट्रीय राइफल्स में दो बार तैनाती के बाद उन्होंने उत्तर पूर्व में स्वेच्छा से तैनाती स्वीकार की। इस दौरान उन्होंने 2010 से 2012 के बीच एनडीएफबी व उल्फा जैसे आतंकवादी दलों के खिलाफ अभियान में हिस्सा लिया। हनुमथप्पा अगस्त 2015 में सियाचिन ग्लेशियर में 19,600 फीट की उंचाई पर पोस्ट में डयूटी के लिए चुने गए।
इस इलाके में तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाता है व हवाएं 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। हनुमथप्पा की शादी महादेवी से हुई है व उनकी दो साल की बेटी का नाम नेत्र है।