गुजराती साहित्यकार रघुवीर चौधरी को मिला 51वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
नामचीन गुजराती साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। ...और पढ़ें

अहमदाबाद,जागरण संवाददाता । नामचीन गुजराती साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। देश में साहित्य के क्षेत्र के इस सर्वोच्च पुरस्कार के लिए उनके नाम का चयन जाने-माने लेखक एवं आलोचक डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने किया। रघुवीर को अगले वर्ष एक समारोह में 51वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
चौधरी का लेखन जीवन की गहराइयों और रिश्तों पर आधारित है। उन्हें 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वह अस्सी से अधिक किताबों के लेखक हैं।मंगलवार को डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में हुई ज्ञानपीठ चयन बोर्ड की बैठक में रघुवीर चौधरी को उपरोक्त पुरस्कार देने का फैसला किया गया। बोर्ड के दूसरे सदस्यों में प्रोफेसर शमीम हनीफ, हरीश त्रिवेदी, प्रोफेसर सुरंजन दास, रमाकांत रथ, चंद्रकांत पाटिल, प्रोफेसर आलोक राय, दिनेश मिस्र और लीलाधर मंडलोई इस बैठक में शामिल रहे।
गुजरात साहित्य परिषद, गुजरात विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग सहित कई संस्थाओं से संबद्ध साहित्यकार रघुवीर चौधरी पिछले पांच दशक से लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं। उन्होंने सौराष्ट्र के जीवन पर एक जीवंत काव्य लिखा है।
साथ ही उनके नाटक, कहानी, उपन्यास और कविताओं में लोक जीवन की अद्भुत छटा झलकती है। 1938 में जन्मे चौधरी गुजराती साहित्य के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। वह उपन्यासकार होने के साथ ही कवि और आलोचक भी हैं। एक स्तंभकार के रूप में वह कई समाचार पत्रों से भी जुड़े रहे। प्रमुख कृतियांचौधरी की रचना 'रूद्र महालय' को गुजराती साहित्य की अमूल्य धरोहर माना जाता है। उन्होंने अब तक 80 से अधिक किताबें लिखी हैं। इनमें अमृता, सहवास, अंतर्वास, पूर्वरंग, वेणु वात्सल, तमाशा, त्रिलोगी उपर्वास, सोमतीर्थ और वृक्ष पतनमा प्रमुख हैं। चौधरी ज्ञानपीठ अवार्ड पाने वाले चौथे गुजराती साहित्यकार हैं। उनसे पहले उमाशंकर जोशी, पन्ना लाल पटेल और राजेंद्र शाह को यह सम्मान मिल चुका है।

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