'इंदिरा गांधी की सुव्यवस्थित आत्महत्या' वाली याचिका खारिज
गुजरात हाई कोर्ट ने एक ऐसी याचिका खारिज कर दी, जिसमें कहा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को व्यवस्थित आत्महत्या करार दिया जाए। यह याचिका 1986 में दायर की गई थी और तब से इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी।
अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने एक ऐसी याचिका खारिज कर दी, जिसमें कहा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को व्यवस्थित आत्महत्या करार दिया जाए। यह याचिका 1986 में दायर की गई थी और तब से इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी।
सोमवार को जैसे ही यह याचिका पहली बार सुनवाई के लिए आई, कार्यकारी चीफ जस्टिस वीएम सहाय और जस्टिस आरपी धोलारिया की बेंच ने इसे खारिज कर दिया याचिका में कहा गया था कि इंदिरा अपने बेटे राजीव गांधी को अगला प्रधानमंत्री बनाना चाहती थीं और इसलिए उन्होंने पूरी योजना के साथ 1984 में आत्महत्या की थी। ऐसे में इस हत्या को एक व्यवस्थित आत्महत्या करार दिया जाए।
घटलोडिया के निवासी नवनीत लाल शाह ने जस्टिस दवे कमिशन से इंदिरा गांधी की हत्या को आत्महत्या करार दिए जाने की मांग की थी। शाह की याचिका में कहा गया है कि इंदिरा ने शहीद का दर्जा हासिल करने के लिए यह योजना बनाई थी। गुजरात में 1985 में हुए दंगों की जांच जस्टिस दवे आयोग कर रहा था।
शाह के मुताबिक इंदिरा गांधी जानती थीं कि उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते वह अगले चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगी। वह मानते हैं कि जिस तरह पाकिस्तान के जुल्फिकार अली भुट्टो को सजा मिली थी, उसी तरह की सजा से बचने के लिए इंदिरा ने ऐसी योजना बनाई।
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ऐसे में उनकी राजनीतिक ताकत के स्वाभाविक उत्तराधिकारी राजीव गांधी ही थे और इंदिरा उन्हें इसी तरह से राजनीति में लाना चाहती थीं। शाह अपनी इस दलील को कई अदालत और सरकारी अधिकारियों के सामने पेश कर चुके हैं।
अदालत ने कहा कि इस मामले को भुला दिया गया था। यहां तक कि सरकारी वकील के पास भी इस याचिका की कॉपी नहीं है। पिछले तीन दशकों से शाह के ठिकाने के बारे में कोर्ट को जानकारी नहीं है और याचिका दायर करने के बाद शाह कभी इस याचिका की सुनवाई की अर्जी लेकर भी अदालत नहीं आए।