आसाराम को लेने आई गुजरात पुलिस ठिठकी
कथावाचक आसाराम को पूछताछ के लिए अहमदाबाद ले जाने आई गुजरात पुलिस ने उनके समर्थकों के हंगामे की आशंका से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। ट्रांजिट रिमांड होने के बावजूद पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार कर रही है। गौरतलब है कि नाबालिग छात्रा से यौन शोषण के आरोप में आसाराम इन
जोधपुर। कथावाचक आसाराम बापू को पूछताछ के लिए अहमदाबाद ले जाने आई गुजरात पुलिस ने उनके समर्थकों के हंगामे की आशंका से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। ट्रांजिट रिमांड होने के बावजूद पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार कर रही है। गौरतलब है कि नाबालिग छात्रा से यौन शोषण के आरोप में आसाराम इन दिनों जोधपुर जेल में बंद है।
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यहां आई गुजरात पुलिस टीम के प्रमुख सहायक पुलिस आयुक्त जेसी पटेल ने कहा कि हम अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। निर्देश मिलने के बाद ही हम आगे कार्रवाई करेंगे। गांधीनगर कोर्ट से जारी प्रोडक्शन वारंट लेकर आई पुलिस ने गुरुवार को जोधपुर की अदालत से पूछताछ की बाबत आसाराम को ले जाने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
गौरतलब है कि सूरत की दो बहनों ने आसाराम व उनके पुत्र नारायण साई के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया है। गुजरात पुलिस इस संबंध में आसाराम से पूछताछ करना चाहती है।
वंजारा रखता था आसाराम के सभी धंधों का हिसाब-किताब
जागरण संवाददाता, अहमदाबाद। आसाराम बापू के पूर्व राजदार वैद्यराज अमृत भाई प्रजापति ने शनिवार को नया खुलासा किया। प्रजापति ने सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड के आरोप में साबरमती जेल में बंद पूर्व आइपीएस डीजी वंजारा को आसाराम का खास शिष्य बताया। साथ ही दावा किया कि वह ही आसाराम के सारे धंधों का हिसाब रखता था।
अमृत भाई प्रजापति ने शनिवार को अहमदाबाद के औढव में पत्रकारों से बातचीत में कहा, पूर्व डीआइजी डीजी वंजारा आसाराम के धन, जमीन और जुर्म के धंधों को संभालता था। जेल जाने से पहले तक आश्रम में उसकी खासी आवाजाही थी। प्रजापति के साथ आई महिला ने दावा किया कि वह आश्रम में खेतीबाड़ी व बागवानी का काम करती थी, उसकी वंजारा से कहासुनी भी हुई थी। महिला ने दावा किया कि गलत कृत्य करने की कोशिश करने पर उसने आसाराम को तमाचा मारा था। इसी के चलते उसकी आश्रम से छुट्टी कर दी गई।
सूरत पुलिस ने नारायण साईं के मददगार को दबोचा
जागरण संवाददाता, सूरत। दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद पिछले एक हफ्ते से फरार चल रहे नारायण साईं भले ही कानूनी शिंकजे से बाहर हैं, लेकिन सूरत पुलिस ने सिटीलाइट इलाके में रहने वाले उसके मददगार व पैरोकार मोहित भोजवानी को धर दबोचा है। जयपुर का मूल निवासी मोहित ही साईं और अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी पेश करने वाले वकील के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था। मोहित को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की रिमांड पर भेज दिया गया।
सूरत पुलिस के अधिवक्ता नयन सुखडवाला ने कोर्ट को बताया कि 6 अक्टूबर को दुष्कर्म का केस दर्ज होने के एक दिन पहले तक नारायण साईं और मोहित की लोकेशन जयपुर में थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद साईं का फोन बंद हो गया। इसके बाद मोहित के फोन से साधकों को दिल्ली रवाना हो गए का संदेश भेजा गया। फोन से गंगापुर शहर में किसी से बैग ले जाने के बारे में भी बात हुई है। सुखडवाला ने कहा, आसाराम और नारायण साईं पर केस दर्ज होने के बाद मोहित ने मोबाइल से ऐसा जोश जगा दो, पूरे देश में आग लगा दो का संदेश भेज कर लोगों को उकसाने की कोशिश की। सरकारी वकील ने दावा किया कि पुलिस द्वारा जब्त मोहित के फोन में 6 हजार से ज्यादा कोंटेक्ट है।
साथ ही ढेर सारी ब्लू फिल्म की क्लिप्स है,जो उसने खुद और नारायण साईं के कहने पर स्टोर कर रखी है। सुखडवाला ने गुजरात के चर्चित फर्जी मुठभेड़ कांड का भी जिक्र किया और मोहित और नारायण को साजिश में शामिल होने का आरोपी बताया।
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