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मानव को अंतरिक्ष में भेजने की दिशा में बढ़े भारत के कदम

अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में भारत ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। गुरुवार को इसरो ने अपने सबसे भारी प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी एम के-3 के साथ ही मानव को अंतरिक्ष में ले जाने संभावना का सफल परीक्षण किया। जीएसएलवी एम के-3 के साथ क्रू मॉड्यूल भी प्रक्षेपित किया

By Sudhir JhaEdited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 09:02 AM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 02:35 AM (IST)

श्रीहरिकोटा। अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में भारत ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। गुरुवार को इसरो ने अपने सबसे भारी प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी एम के-3 के साथ ही मानव को अंतरिक्ष में ले जाने संभावना का सफल परीक्षण किया। जीएसएलवी एम के-3 के साथ क्रू मॉड्यूल भी प्रक्षेपित किया गया। मॉड्यूल के परीक्षण का मकसद ऐसी तकनीक की जांच करना था जो अंतरिक्ष में जाकर फिर से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके। इस मॉड्यूल का बाहरी आवरण वैसा ही था जैसा कि मानव मिशनों में इस्तेमाल होता है। मॉड्यूल की धरती के वायुमंडल में सफल वापसी से इसरो की ओर भविष्य में अंतरिक्ष में मानव अभियान भेजने की संभावना को बल मिला है।

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जीएसएलवी मार्क-3 का सफल प्रक्षेपण, देखिए तस्वीरें

ऐसे रचा इसरो ने इतिहास

गुरुवार सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से जीएसएलवी एमके-3 के प्रक्षेपण के ठीक 5.4 मिनट बाद क्रू मॉड्यूल 126 किमी की ऊंचाई पर जाकर रॉकेट से अलग हो गया और फिर समुद्र तल से लगभग 80 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी के वातावरण में पुन: प्रवेश करने में सफल रहा। यह बहुत तेज गति से नीचे की ओर उतरा और फिर इंदिरा प्वाइंट से लगभग 180 किमी की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में उतर गया।

सबसे बड़े पैराशूट से नियंत्रित हुआ मॉड्यूल

3 टन से ज्यादा वजन और 2.7 मीटर लंबाई वाले कप-केक के आकार के इस क्रू मॉड्यूल को विशेष तौर पर तैयार किए गए पैराशूटों की मदद से समुद्र में उतारा गया। 31 मीटर व्यास वाल मुख्य पैराशूट की मदद से ही मॉड्यूल ने जल की सतह को सात मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार के साथ छुआ।

भारत के लिए ऐतिहासिक दिन

मॉड्यूल जैसे ही रॉकेट से अलग हुआ इसरो के कंट्रोलरूम में मौजूद वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने आनंदित स्वर में कहा कि करीब 4 टन वजन की श्रेणी के तहत आने वाले संचार उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में समर्थ, आधुनिक प्रक्षेपण वाहन के विकास के कारण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में यह बहुत महत्वपूर्ण दिन है।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दी बधाई

इसरो के वैज्ञानिकों की इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनको बधाई दी है। मोदी ने ट्वीट किया, 'जीएसएलवी एमके -3 का सफल परीक्षण हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और कठिन मेहनत की एक और सफलता है। उनके प्रयासों के लिए उन्हें बधाई।' लोकसभा में भी वैज्ञानिकों की इस सफलता की सराहना की गई।

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