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    बंगाल में पहली बार अंग प्रत्यारोपण के लिए बना ग्रीन कॉरीडोर

    कोलकाता की ट्रैफिक पुलिस ने बाईपास स्थित अपोलो ग्लेनीग्लेस अस्पताल से एसएसकेएम अस्पताल के बीच ग्रीन कॉरीडोर बनाकर तय समय में अंगों को पहुंचाना सुनिश्चित किया।

    By Manish NegiEdited By: Updated: Fri, 04 Nov 2016 07:18 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, कोलकाता। महानगर की ट्रैफिक पुलिस और डॉक्टरों के प्रयास की बदौलत तीन लोगों को नई जिंदगी मिल गई। इन मरीजों को शरीर के अहम अंगों के प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी। बड़ी चुनौती मृत शरीर से निकाले गए अंगों को ईएम बाईपास स्थित अस्पताल से दक्षिण कोलकाता स्थित एसएसकेएम अस्पताल पहुंचना था, जिसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर है।

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    कोलकाता की ट्रैफिक पुलिस ने बाईपास स्थित अपोलो ग्लेनीग्लेस अस्पताल से एसएसकेएम अस्पताल के बीच ग्रीन कॉरीडोर बनाकर तय समय में अंगों को पहुंचाना सुनिश्चित किया। पश्चिम बंगाल में ग्रीन कॉरीडोर में अंग प्रत्यारोपण का यह पहला मामला है।

    इन तीनों मरीजों में अंग प्रत्यारोपण सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले बशीरहाट निवासी स्वर्णेदु राय नामक छात्र के अंगदान की वजह से संभव हो सका। स्वर्णेदु राय (18) नामक छात्र 30 अक्टूबर को ट्यूशन पढ़ने घर से निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा। बेटे को घर लौटने में देरी होता देख पिता चंद्रेश्वर राय ने फोन किया तो पता चला कि उनका बेटा सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया है। उसे ईएम बाईपास स्थित अपोलो ग्लेनीग्लेस अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके सिर में गंभीर चोट लगी थी।

    गुरुवार की दोपहर चिकित्सकों ने जांच के बाद स्वर्णेंदु को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद पिता चंद्रेश्वर राय ने अंग दान की इच्छा जताई। अपोलो के चिकित्सकों ने उनके इस कदम की सराहना की। पता चला कि उक्त अस्पताल में भर्ती उत्तरपाड़ा निवासी रूबी सरकार की दोनों किडनी खराब है। साथ की एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती दो अन्य मरीजों को भी किडनी और लिवर की जरूरत है। इसके बाद अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सक के साथ बैठक की और उसका ऑपरेशन किया। साथ ही अपोलो अस्पताल में ही भर्ती रूबी सरकार की किडनी का ट्रांसप्लांट किया।

    जबकि एक अन्य किडनी व अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के लिए कोलकाता पुलिस से संपर्क किया गया। पुलिस ने भी गंभीरता से लेते हुए बाईपास से एसएसकेएम के बीच ग्रीन कॉरीडोर बनाया। अलग-अलग एंबुलेंस में किडनी और लिवर लेकर पुलिस स्कॉर्ट एसएसकेएम अस्पताल पहुंचा। वहां पहले से भर्ती महिला मरीज निलोफो खां को किडनी और शंभुवता मंडल को लिवर प्रत्यारोपण किया गया। दोनों फिलहाल ठीक हैं।

    हार्ट भी दान करने की इच्छा

    चंद्रेश्वर ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की कॉर्नियां उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर स्थित दिशा आई हॉस्पिटल को दान कर दी है। अब वह हृदय भी दान करना चाह रहे हैं। इसके लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिख कर अपील की गई है कि कानूनी प्रक्रिया पूरी कर हृदय भी निकाल लिया जाए ताकि इससे किसी और की जान बच सके।

    क्या है ग्रीन कॉरीडोर?

    मानव अंगों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन की ओर से सड़कों को पूरी तरह से फ्री कर दिया जाता है। उक्त मार्ग के सभी सिग्नल को तब तक ग्रीन रखा जाता है जब तक कि गंतव्य तक अंग न पहुंच जाए।

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