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    केंद्रीय कर्मियों को चुनावी तोहफा

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    Updated: Thu, 26 Sep 2013 06:56 AM (IST)

    चुनावी साल में संप्रग सरकार ने एक और तुरुप का पत्ता फेंका है। बुधवार को सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देकर सरकार ने देश के करीब 50 लाख से ज्यादा क ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल में संप्रग सरकार ने एक और तुरुप का पत्ता फेंका है। बुधवार को सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देकर सरकार ने देश के करीब 50 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और 35 लाख से ज्यादा पेंशनरों को बड़ा तोहफा दिया है। कांग्रेस ने तत्काल इस घोषणा को भुनाते हुए इसे संप्रग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की माला में एक और मोती करार दिया। सरकार की यह घोषणा इसलिए अप्रत्याशित है क्योंकि इसी वर्ष मार्च में संसद में वित्ता राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने सातवें वेतन आयोग के सवाल पर जवाब में कहा था कि सरकार अभी ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार करने की स्थिति में नहीं है। सरकार अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करने के लिए हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन करती है। अक्सर राज्य कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाते हैं। इससे पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू की गईं थीं।

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    वित्ता मंत्री पी. चिदंबरम ने वेतन आयोग के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि आयोग दो साल में अपनी सिफारिशें पेश करेगा। इसके चेयरमैन और सदस्यों के नामों की घोषणा जल्द ही की जाएगी। चिदंबरम ने कहा 'प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सातवें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होने की संभावना है।' दरअसल, 2009 के चुनाव से पहले आजमाए गए हर टोटके को लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस इस दफा भी आजमा रही है। गरीबों, किसानों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को लुभाने का यह दांव लोकसभा से पहले दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भी बेहद कारगर होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों और विधानसभा चुनावों में जीत का श्रेय छठे वेतन आयोग के लागू होने को दिया गया था। पिछली बार मजदूरों और किसानों के लिए मनरेगा और किसानों की कर्ज माफी जैसी योजनाएं लाई गई थीं तो इस दफा संप्रग ने खाद्य सुरक्षा से लेकर भूमि अधिग्रहण कानून लागू कर गरीब और किसानों को खुश किया। अब सातवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा से महंगाई से त्रस्त करोड़ों लोगों में करीब 85 लाख लोगों को सीधे राहत दी गई है।

    सातवें वेतन आयोग को लागू करने पर केंद्रीय खजाने पर एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। छठे वेतन आयोग में 40 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था। तब वित्ता मंत्री ने भी स्वीकार किया था कि उसकी वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ा है। अब इस नए वेतनमान को पूरा करने के बाद आर्थिक संतुलन कायम रखना नई सरकार की चुनौती होगी। घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने इसे भुनाना भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव व संपर्क विभाग के प्रमुख अजय माकन याद दिलाना नहीं भूले कि छठे वेतन आयोग की घोषणा से राजग सरकार पलट गई थी, लेकिन संप्रग ने इसे लागू कराया। कांग्रेस प्रवक्ता राज बब्बर ने कहा कि यह फैसला कांग्रेस की आम आदमी के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

    यूनियन व उद्योग जगत ने किया स्वागत

    कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इंप्लाइज एंड वर्कर्स के अध्यक्ष केएन कुट्टी ने इसका स्वागत किया और मांग की कि इसे 1 जनवरी, 2011 से लागू किया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में वेतनमान हर पांच साल में संशोधित किया जाता है। उद्योग जगत ने भी इसका स्वागत किया और कहा कि इससे आर्थिक व्यवस्था सुधरेगी। पीएचडी उद्योग चैंबर के अध्यक्ष जेएस खेतान ने कहा कि छठे वेतन आयोग की वजह से अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ी थी, जिसके सकारात्मक परिणाम आए थे।

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