जीएसटी पर आम राय बनाने की कोशिश करेगी सरकार
जीएसटी काउंसिल की नौवीं बैठक सोमवार को हो रही है जिसमें दोहरे नियंत्रण और नोटबंदी के मद्देनजर मुआवजे को लेकर राज्यों की नई सिरे से मांग पर चर्चा की जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक अप्रैल से लागू करने की कोशिश कर रही सरकार एक बार फिर जीएसटी काउंसिल में विवादित मुद्दों पर आम राय बनाने की कोशिश करेगी। जीएसटी काउंसिल की नौवीं बैठक सोमवार को हो रही है जिसमें दोहरे नियंत्रण और नोटबंदी के मद्देनजर मुआवजे को लेकर राज्यों की नई सिरे से मांग पर चर्चा की जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की आठवीं बैठक में इन दोनों मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बनी थी। पश्चिम बंगाल और केरल सहित कई राज्यों की दलील थी कि नोटबंदी के चलते उनके राजस्व में काफी गिरावट आयी है इसलिए केंद्र को इसकी भरपाई करनी चाहिए। हालांकि हाल ही में जेटली ने वैट संग्रह के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि सुशासित राज्यों में वैट संग्रह पर कोई असर नहीं पड़ा है।
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गौरतलब है कि काउंसिल में पिछली चार बैठकों से अब तक कोई खास निर्णय नहीं हुआ है। दरअसल केंद्र और राज्यों के बीच इस बात को लेकर मतभेद है कि जीएसटी लागू होने पर असेसीज पर प्रशासनिक नियंत्रण किस तरह किया जाए। केंद्र सरकार के दायरे में कौन से असेसीज आएं जबकि राज्य के सरकार के दायरे में कौन से। राज्य सरकारें डेढ़ करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वाले असेसीज पर पूर्णत: अपना नियंत्रण चाहते हैं।
हालांकि केंद्र इस पर राजी नहीं है। केंद्र की दलील है कि राज्यों को सेवा कर लागू करने का अनुभव नहीं है, इसलिए सेवा कर के असेसीज को राज्यों के नियंत्रण में देना उचित नहीं है।जीएसटी काउंसिल की बैठक में तटीय सीमा के निकट समुद्र में राज्यों के अधिकार क्षेत्र का निर्धारण भी किया जाएगा। फिलहाल गुजरात और उड़ीसा जैसे कई राज्यों का अच्छा खासा राजस्व तटवर्ती समुद्री क्षेत्र से आता है।
जीएसटी काउंसिल की अगर इस बैठक में आम राय नहीं बनती है तो सरकार को निर्धारित एक अप्रैल 2017 की समयसीमा से जीएसटी लागू करना मुश्किल होगा। ऐसे में सरकार को हर हाल में जीएसटी को 16 सितंबर 2017 से पहले लागू करना होगा।
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