मंडियों की संख्या बढ़ाने की 21 राज्यों की सहमति से केंद्र उत्साहित
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि राज्यों के उत्साह को देखते हुए आने वाले दिनों में निजी मंडियों के दिन बहुरने वाले हैं।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि उपज की खरीद बिक्री के लिए अधिक मंडियों की जरूरत के मद्देनजर निजी क्षेत्र की राह आसान होने लगी है। ज्यादातर राज्यों ने इस दिशा में केंद्र की पेशकश को हाथों हाथ लिया है। सरकार की मंशा किसानों और उपभोक्ता के बीच से बिचौलियों को खत्म करने की है। ई-मंडी प्रणाली की बढ़ी लोकप्रियता से राज्यों ने सकारात्मक पहल की है।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि राज्यों के उत्साह को देखते हुए आने वाले दिनों में निजी मंडियों के दिन बहुरने वाले हैं। देश में फिलहाल 6746 मंडियां हैं, जहां कृषि उपज की खरीद बिक्री की जाती है। सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशों में इसमें पर्याप्त वृद्धि की बात कही गई है। उसी रिपोर्ट में देश मंडियों की कम संख्या पर चिंता भी जताई गई है। मंडियों की स्थापना के लिए निर्धारित पुराने मानकों में ढील देने की भी सिफारिश की गई है।
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मंडियों की स्थापना के लिए फिलहाल 40 वर्ग किमी के क्षेत्र में एक मंडी का होना जरूरी है। जबकि वर्तमान में 580 वर्ग किमी में सिर्फ एक मंडी है। मंडियों की संख्या बढ़ाने के लिए आयोग की सिफारिशों का हवाला देकर केंद्र सरकार ने राज्यों से और अधिक मंडियों की स्थापना का आग्रह किया है। ताकि कृषि उपज बेचने के लिए किसानों को बहुत दूर जाने की जरूरत न पड़े।
केंद्र के इस प्रस्ताव पर अब तक 21 राज्यों ने अपनी सहमति ही नहीं दी है बल्कि अपने मंडी कानून में सुधार कर लिया है। इससे निजी क्षेत्र की मंडियों की स्थापना का रास्ता खुलने लगा है। इससे किसानों को जहां उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने लगेगा, वहीं उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उत्पाद मिलने लगेगा। कृषि मंत्री सिंह ने कहा कि इससे देश में महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
ई-मंडी की पहल को ज्यादातर राज्यों ने समर्थन दिया है। मार्च 2018 तक देश की कुल 585 मंडियों को ई-ट्रेडिंग प्रणाली से जोड़ने का लक्ष्य है। लेकिन बिहार और केरल में मंडी कानून न होने से वहां यह परियोजना विफल हो गई है। केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों से इससे जुड़ने का आग्रह किया है।
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