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सर्जिकल स्ट्राइक के हैं सुबूत, इसलिए जारी नहीं करेगी सरकार

सेना, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने गुलाम कश्मीर में आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो फुटेज फिलहाल जारी नहीं करने की सलाह दी है। सेना और खुफिया एजेंसी रॉ ने सरकार से कहा है कि

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 06 Oct 2016 12:41 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2016 06:36 AM (IST)
सर्जिकल स्ट्राइक के हैं सुबूत, इसलिए जारी नहीं करेगी सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: सेना, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने गुलाम कश्मीर में आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो फुटेज फिलहाल जारी नहीं करने की सलाह दी है। सेना और खुफिया एजेंसी रॉ ने सरकार से कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ प्रहार को लेकर भारत की बदली रणनीति के मद्देनजर इस ऑपरेशन के वीडियो को सार्वजनिक करना सुरक्षा रणनीति के लिहाज से ठीक नहीं होगा।

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सरकार ने संभवत: इसीलिए सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो फुटेज अभी जारी नहीं करने के संकेत दिए हैं। हालांकि पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए अनौपचारिक रुप से सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी जानकारियों को सामने लाने का दांव सरकार अपना सकती है।

उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में सर्जिकल ऑपरेशन के साक्ष्य पेश करने की कुछ सियासी नेताओं और पार्टियों की ओर से उठाए सवालों पर भी चर्चा हुई।

इस चर्चा में सरकार का आकलन था कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत मुख्य धारा की अधिकांश पार्टियों ने अभी तक आधिकारिक रूप से न तो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए हैं, न ही वीडियो फुटेज जैसे साक्ष्य जारी करने की बात उठाई है। इसलिए कुछेक नेताओं और पार्टियों की ऐसी मांग के दबाव में वीडियो जारी करने की फिलहाल जरूरत नहीं।

सूत्रों के मुताबिक, बेशक सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो अभी जारी नहीं किए जाएंगे। लेकिन अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से सरकार गुलाम कश्मीर में भारतीय सेना की सर्जिकल कार्रवाई से जुड़े दूसरे साक्ष्यों को धीरे-धीरे सामने लाने का रास्ता अपनाएगी ताकि सर्जिकल कार्रवाई नहीं होने का झूठ बोल रहे पाकिस्तान को बेनकाब भी किया जा सके।

सुरक्षा के खयाल से उचित नहीं:

खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि वीडियो जारी करना सीमा पर जारी मौजूदा तनाव में आगे की किसी आक्रामक कार्रवाई के लिहाज से उचित नहीं है। साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की सैन्य आक्रामकता का गलत संदेश जा सकता है।

इसमें सीधे तौर पर पाकिस्तान पर प्रहार का मसला तूल पकड़ सकता है जबकि अभी तक सर्जिकल कार्रवाई को हम गुलाम कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन बता रहे हैं। सर्जिकल कार्रवाई का मामला नरम होने पर सरकार जरूरी समझेगी तो भविष्य में सेना को भरोसे में लेने के बाद ही वीडियो जारी करने को लेकर विचार कर सकती है।

इसलिए नहीं जारी होंगे सबूत:

1. सुरक्षा और सामरिक हितों पर विपरीत असर पड़ेगा।

2. दुनिया भर में ऐसी कार्रवाइयों के सुबूत देने की कोई परंपरा नहीं।

3. ओसामा बिन लादेन के खात्मे के सुबूत अमेरिका ने भी नहीं दिए थे।

4. दुश्मन देश हमारी सैन्य और कमांडो क्षमता और तैयारी समझ लेंगे।

5. विश्व मंचों पर भारत के खिलाफ सुबूत के रूप में पेश किए जाएंगे।

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