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राज्यपालों के बाद अब निदेशकों की बारी

राज्यपालों के बाद पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की ओर से पीएसयू के बोर्डो में नियुक्त किए गए स्वतंत्र निदेशक मोदी सरकार के निशाने पर हैं। इंडियन ऑयल (आइओसी) के बोर्ड से चार निदेशकों की बर्खास्तगी के साथ 'सफाई' का यह सिलसिला शुरू किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में स्वतंत्र निदेशकों की नियुि

By Edited By: Published: Thu, 28 Aug 2014 08:55 PM (IST)Updated: Thu, 28 Aug 2014 08:57 PM (IST)
राज्यपालों के बाद अब निदेशकों की बारी

नई दिल्ली। राज्यपालों के बाद पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की ओर से पीएसयू के बोर्डो में नियुक्त किए गए स्वतंत्र निदेशक मोदी सरकार के निशाने पर हैं। इंडियन ऑयल (आइओसी) के बोर्ड से चार निदेशकों की बर्खास्तगी के साथ 'सफाई' का यह सिलसिला शुरू किया गया है।

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सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) करती है। इसमें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री शामिल होते हैं। आइओसी के इन चारों स्वतंत्र निदेशकों को इस साल मार्च में तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया था। इनके नाम के जयराज, निसार अहमद, सुनील कृष्णा और सयान चटर्जी हैं। कंपनी के शेयरधारकों को इनकी नियुक्ति का अनुमोदन करना था, लेकिन मुबंई में बुधवार को हुई वार्षिक आम बैठक में आइओसी की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव नहीं लाया गया। इससे इनकी सेवाएं समाप्त हो गई। देश की सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनी आइओसी ने स्टॉक एक्सचेंजों को इसकी जानकारी दी है। मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए आइओसी के चेयरमैन बी अशोक से संपर्क साधने की कोशिश नाकाम रही। जबकि कंपनी के सचिव राजू रंगनाथन ने कहा कि वह मामले पर प्रतिक्रिया देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वहीं सूत्रों का कहना है कि नई सरकार सार्वजनिक कंपनियों के बोर्ड में हाल में की गई सभी नियुक्तियों की समीक्षा कर रही है।

पहले ही मोदी सरकार पूर्ववर्ती सरकार की ओर से की गई सभी राजनीतिक नियुक्तियों पर कैंची चलाने में जुटी है। मई में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद से आठ राज्यपाल इस्तीफा दे चुके हैं। पिछले हफ्ते इस्तीफा देने वाली शीला दीक्षित इस फेहरिस्त में अंतिम थीं।

सूत्र कहते हैं कि नई सरकार पूर्ववर्ती सरकार की ओर से नियुक्त किए गए सभी निदेशकों को बदलना चाहती है। नियम स्पष्ट नहीं हैं कि क्या बिना एसीसी के अनुमोदन के शेयरधारक के समर्थन न करने से निदेशक हटाए जा सकते हैं। फिलहाल यह साफ नहीं है कि बर्खास्तगी का फैसला एसीसी की सहमति से हुआ है कि नहीं।

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