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    ऊर्जा सुरक्षा के लिए यूएई की पहल साबित होगी गेम चेंजर

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Fri, 27 Jan 2017 08:21 PM (IST)

    यूएई भारत में तैयार हो रहे रणनीतिक तेल भंडार में अपना क्रूड रखेगा और यहां से दूसरे देशों को क्रूड निर्यात कर सकता है।

    ऊर्जा सुरक्षा के लिए यूएई की पहल साबित होगी गेम चेंजर

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए तमाम जतन करने में जुटे भारत के लिए यूएई का सहयोग सही मायने में एक गेम चेंजर कदम साबित हो सकता है। अभी अपनी जरुरत का तकरीबन 80 फीसद क्रूड आयात करने वाला भारत इस सहयोग से परोक्ष तौर पर क्रूड का निर्यातक बन सकता है।

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    यूएई भारत में तैयार हो रहे रणनीतिक तेल भंडार में अपना क्रूड रखेगा और यहां से दूसरे देशों को क्रूड निर्यात कर सकता है। इसका फायदा भारत को भी होगी। माना जा रहा है कि आस्ट्रेलिया, जापान व अन्य एशियाई देशों को जरुरत पड़ने पर कम समय में और कम दर पर भारत में रखा हुआ यूएई का क्रूड निर्यात किया जा सकेगा। जरुरत पड़ने पर भारत भी इसका इस्तेमाल कर सकेगा।

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    अबु धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद बिन जायद अल नाहयान और पीएम नरेंद्र मोदी के सामने बुधवार को भारत व यूएई के बीच तेल भंडारण समझौते पर मुहर लगी है। इसके तहत भारत में क्रूड के रणनीतिक भंडार के लिए स्थापित कंपनी में यूएई को हिस्सेदारी दी जाएगी। भारत में कच्चे तेल के तीन रणनीतिक भंडार बनाये गये हैं। ये विशाखापत्तनम, मैंगलोर और उड्डुपी के नजदीक पुदुर में बनाये गये हैं।

    दोनों देशों के बीच समझौते के मुताबिक यूएई की सरकारी तेल कंपनी अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी को यहां क्रूड रखने दिया जाएगा। यही नहीं भारत में भविष्य में जो रणनीतिक भंडार बनाये जाएंगे उनमें भी यूएई को साझेदार बनाया जाएगा। भारत आने वाले दिनों में बीकानेर (राजस्थान), राजकोट (गुजरात), चंडीखोले (उड़ीसा) में भी क्रूड का रणनीतिक भंडार बनाने की मंशा रखता है।

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    यूएई को भारत में रणनीतिक तेल भंडार में शामिल करने के फैसले के बारे में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह दोनों देशों के लिए फायदे का सौदा है। भारत को यह पहला फायदा यह होगा कि उसके रणनीतिक भंडार को भरने के लिए एक स्थाई स्त्रोत मिल जाएगा।भारत ये भंडार आपातकालीन परिस्थितियों के लिए तैयार कर रहा है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों के बहुत महंगा होने की स्थिति में भी यह भंडार देश के काम आएगा।

    इस तरह से जरुरत पड़ने पर भारत इस भंडार का इस्तेमाल करेगा। लेकिन इससे बड़ा फायदा यह होगा कि यूएई व भारत विशाखापत्तनम व मैंगलोर स्थित भंडार से क्रूड आयात करने वाले पूर्वी एशियाई देशों व आस्ट्रेलिया को ज्यादा जल्दी तेल की आपूर्ति कर सकेंगे। ढुलाई लागत बचने से ये देश आने वाले दिनों में खाड़ी के देशों से सीधे तेल खरीदने के बजाये यहां से तेल खरीदने की शुरुआत कर सकते हैं।