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    विनीता एवरेस्ट चढ़ने वाली पहली आदिवासी युवती

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    Updated: Sat, 26 May 2012 09:35 PM (IST)

    झारखंड के सरायकेला की विनीता सोरेन ने इतिहास रचा है। एवरेस्ट फतह करने वाली वह पहली आदिवासी युवती बन गई है। 25 वर्ष की विनीता ने जिस ऊंचाई को छुआ है, उसके पीछे उनकी मेहनत और अदम्य साहस की कहानी है। शनिवार की सुबह सोरेन ने ही नही झारखंड के एक और जांबाज मेघलाल महतो ने भी एवरेस्ट पर झंडा गाड़ा। इन दोनो के साथ राजेद्र सिंह पाल भी थे।

    जमशेदपुर [वेंकटेश्वर राव]। झारखंड के सरायकेला की विनीता सोरेन ने इतिहास रचा है। एवरेस्ट फतह करने वाली वह पहली आदिवासी युवती बन गई हैं। 25 वर्ष की विनीता ने जिस ऊंचाई को छुआ है, उसके पीछे उनकी मेहनत और अदम्य साहस की कहानी है। शनिवार की सुबह सोरेन ने ही नहीं झारखंड के एक और जांबाज मेघलाल महतो ने भी एवरेस्ट पर झंडा गाड़ा। इन दोनों के साथ राजेंद्र सिंह पाल भी थे।

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    विनीता व मेघलाल सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड के पहाड़पुर गांव के रहने वाले हैं। राजेंद्र सिंह पाल मशहूर पर्वतारोही बछेंद्री पाल सिंह के भाई है। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत टाटा स्टील ने इन लोगों को एवरेस्ट फतह के अभियान में भेजने का बीड़ा उठाया था। पूरे अभियान के लिए टाटा स्टील ने 75 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है।

    ऐसे मिली कामयाबी

    इको एवरेस्ट स्प्रिंग 2012 अभियान के तहत विनीता, मेघलाल और राजेंद्र ने 20 मार्च, 2012 को जमशेदपुर से चले थे। शनिवार सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर विनीता और मेघलाल महतो ने एवरेस्ट के शिखर पर भारतीय पताका फहराई, राजेंद्र करीब दो घंटे पहले वहां पहुंच चुके थे। अभियान की खासियत यह कि एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए दो रास्ते हैं, इस टीम ने शिखर पर चढ़ने के लिए कठिन रास्ता [लुकला] का चयन किया।

    एवरेस्ट पर पर्वतारोहियों का मेला

    काठमांडू। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की होड़ से मची है। पिछले दो दिनों के भीतर करीब 225 लोग इस चोटी पर पहुंचे जो अपने आप में एक रिकार्ड है। इन पर्वतारोहियों में चार भारतीय शामिल हैं। 8848 मीटर ऊंचे पर्वत शिखर पर इतने लोगों का एक साथ जमा होना अपने आप में अद्भुत और एक मेले सरीका है। शनिवार को 150 जबकि, एक दिन पहले 75 पर्वतारोही इसकी चोटी पर पहुंचे थे।

    माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वालों में शामिल चार भारतीयों में तीन झारखंड के हैं। भारतीय दल का मार्गदर्शन मशहूर पर्वतारोही बछेंद्री पाल कर रही थीं। बछेंद्री ने ही झारखंड की विनीता सोरेन, मेघलाल महतो और अपने भाई राजेंद्र सिंह पाल को प्रशिक्षण दिया था। चौथा भारतीय उत्तराखंड का लवराज धर्मसत्तू है। पिथौरागढ़ की मुनस्यारी तहसील के अति दुर्गम गांव बौना निवासी और बीएसएफ में तैनात धर्मसत्तू ने चौथी बार एवरेस्ट फतह किया है।

    भारतीय पर्वतारोहियों का यह दल स्थानीय समयानुसार सुबह करीब पांच बजे चोटी की शीर्ष पर पहुंचा। माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए टाटा स्टील ने 75 लाख रुपये प्रायोजित किए थे। भारतीय दल का अभियान सोमवार को पूरा होगा।

    नेपाली माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल उर्फ 'प्रचंड' के बेटे प्रकाश दहल भी शनिवार सुबह दुनिया की इस चोटी पर पहुंचने वालों में शामिल थे। 27 वर्षीय दहल और उनकी टीम में शामिल दूसरे अन्य पर्वतारोही लुम्बिनी-सागमाथा पीस एक्सि्पडिशन के बैनर के तले शनिवार सुबह आठ बजे चोटी पर पहुंचे। नेपाली अधिकारियों के मुताबिक पर्वतारोहियों का यह दल माउंट एवरेस्ट के दक्षिणी छोर से चोटी पर पहुंचा।

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