Move to Jagran APP

हुर्रे! अब महज आधे घंटे में पूरा होगा दिल्‍ली से टोक्‍यो तक का सफर

अब दिल्ली से टोक्यो के बीच की दूरी महज आधे घंटे में पूरी की जा सकेगी। इसके अलावा बैंकाक से दुबई की दूरी महज 27 मिनट, लंदन से दुबई की दूरी 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 30 Sep 2017 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 01 Oct 2017 12:02 PM (IST)
हुर्रे! अब महज आधे घंटे में पूरा होगा दिल्‍ली से टोक्‍यो तक का सफर
हुर्रे! अब महज आधे घंटे में पूरा होगा दिल्‍ली से टोक्‍यो तक का सफर

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। क्‍या आपने आवाज से भी तेज गति के साथ सफर किया है। यदि नहीं तो क्‍या आप इसके रोमांच की अनुभति को महसूस कर सकते हैं। यदि ये भी नहीं तो ये बताएं कि आपको कैसा लगेगा यदि आप घंटों की दूरी को कुछ मिनटों में ही पूरा कर लें। य‍ह सवाल पूछना इसलिए जरूरी है क्‍योंकि अब य‍ह बातें हकीकत बनने वाली हैं। दरअसल, भविष्‍य में इंसान जिस तकनीक के सहारे लंबी दूरी तय करेगा उसकी एक झलक 'स्‍पेस एक्‍स' ने दुनिया के सामने पेश की है। इस तकनीक के दम पर दुनिया में अधिक से अधिक दूरी को महज एक घंटे में ही पूरा किया जा सकेगा।

loksabha election banner

‘स्‍पेस एक्‍स‘ का ये है प्‍लान

‘स्पेस एक्स’ के संस्थापक एलोन मस्क ने 68वें अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में 2024 तक मनुष्य को मंगल ग्रह पर भेजने की योजना का अनावरण किया। मंगल ग्रह पर जाने वाले रॉकेट से ही दुनिया के महत्वपूर्ण शहरों के बीच की दूरी भी आधे घंटे में नापी जा सकेगी। इसको आसान शब्दों में कुछ ऐसे समझा जा सकता है कि दिल्‍ली से टोक्‍यो के बीच की करीब 5839 किमी की दूरी को महज आधा घंटे में पूरा किया जा सकता है। जबकि यदि इस दूरी को विमान से तय करने की बात करें तो एयर इंडिया, जापान एयरलाइंस, एएनए और जेट एयरवेज इसमें लगभग 8 घंटे का समय लेती हैं। यह सभी डायरेक्‍ट फ्लाइट्स हैं। वहीं दूसरी कनेक्टिंग एयरलाइंस इसमें करीब 8-13 घंटों का समय लेती हैं। किराए की यदि बात करें तो लगभग 40-75 हजार के बीच इन फ्लाइट्स का किराया है।

किम को सबक सिखाने चीन ने लिया बड़ा फैसला, को‍रियाई कंपनियो का पत्ता साफ

यान की सबसे बड़ी खासियत

इस यान की सबसे बड़ी खासियत होगी कि यह यान 18 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरेगा। यह आवाज की गति से तेज उड़ने वाले कॉनकॉर्ड की स्‍पीड से कहीं अधिक होगी। इतना ही नहीं इसका खर्च लगभग उतना ही होगा जो आपको किसी फ्लाइट्स में विभिन्‍न देशों के बीच यात्रा करने पर देना होता है। इसके अलावा यह यान सिर्फ जमीन ही नहीं बल्कि समुद्र में तैरते हुए लैंडिंग प्लेटफार्म पर उतरने में सक्षम होगा। एलोन ने यह भी बताया है कि फ्लोटिंग प्लेटफार्म पर इसकी सफल लैंडिंग को लेकर कई टेस्‍ट भी किए जा चुके हैं। इससे सफर करने वाले यात्रियों को पहले बोट से उस फ्लोटिंग प्लेटफार्म पर ले जाया जाएगा। इसके बाद वह इस रॉकेट में बैठ सकेंगे।

दुनिया में कहीं भी जाने में अधिकतम समय एक घंटा

इस तकनीक से जहां दिल्ली से टोक्यो आधे घंटे में पहुंचा जा सकेगा वहीं बैंकाक से दुबई की दूरी महज 27 मिनट में पूरी की जा सकेगी। इसके अलावा लंदन से दुबई की दूरी 30 मिनट, लंदन से न्‍यूयार्क की दूरी 30 मिनट, लॉस एंजेलिस से टोरंटो की दूरी 24 मिनट, हांगकांग से सिंगापुर की दूरी 22 मिनट में पूरी की जा सकेगी। इसके जरिए दुनिया में किसी भी अधिकतम दूरी को महज एक घंटे में पूरा किया जा सकेगा।

यह भी पढ़ें: जो उसने कर दिखाया वह कोई और नहीं कर सका, साबित हुआ ‘मील का पत्‍थर’ 

रेशम की तरह होगा सबकुछ हल्‍का

एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में मस्क ने बताया कि जैसे ही आप वातावरण के घेरे से बाहर निकलते हैं, सब कुछ रेशम की तरह हल्का हो जाता है। कहीं कोई बाधा नहीं आती। गौरतलब है कि ‘स्पेस एक्स 2022 तक मंगल ग्रह पर पहले मालवाहक यानों और इसके बाद 2024 तक मनुष्यों को वहां पहुंचाने की तैयारी कर रहा है। 2022 के बाद हर दो साल बाद मंगल ग्रह मिशन लांच किया जाएगा ताकि मनुष्य के पहुंचने से पहले ग्रह को रहने लायक बनाने की दिशा में प्रारंभिक कार्य पूरा कर लिया जाए। रॉकेट से मंगल ग्रह पर जीवन जीने के लिए आधारभूत संरचना स्थापित की जाएगी। मंगल पर जाने वाले रॉकेट से एक बार में 80 से 200 लोगों को ले जाया जा सकेगा। लेकिन उन्‍होंने यह भी माना कि स्‍पेस ट्रेवल को देखते हुए इसका सही आंकलन बाद में ही किया जा सकेगा।

स्‍पेस एक्‍स ने दिया नाम ‘बीएफआर’

मस्क के अनुसार अंतरग्रहीय परिवहन प्रणाली को Big Fucking Rocket या बीएफआर नाम दिया गया है। इसके आकार को छोटा किया जाएगा। ऐसे में वह कई तरह के काम कर सकेगा। इससे भविष्य में मंगल ग्रह के अभियानों में मदद मिलेगी। मस्क ने कहा कि उनकी कंपनी इसको बनाने की शुरुआत छह से नौ माह के अंदर शुरू कर देगी और अगले पांच साल में यान का निर्माण पूरा कर उसे प्रक्षेपित किया जा जाएगा। वर्ष 2022 तक कम से कम दो मालवाहक यान लाल ग्रह पर पहुंचेंगे जिनका मुख्य उद्देश्य पानी के स्रोत का पता लगाना होगा।

यह भी पढ़ें: किम ने रची अब तक की सबसे 'खतरनाक' साजिश; अमेरिका ही नहीं, दुनिया को खतरा 

यह भी पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के नाम पर ये देश कर रहे हैं भारत के साथ धोखा 

यह भी पढ़ें: चीन चाहेगा तभी बातचीत के लिए आगे आएगा ‘किम’, जानें क्‍यों? 

यह भी पढ़ें: छोटी नहीं रही ये बच्ची, अब है दुनिया की सबसे ताकतवर महिला 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.