Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अपने इन तीन हथियारों की वजह से अमेरिका बन गया है और घातक

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jul 2017 03:12 PM (IST)

    परमाणु बम दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार है। लेकिन इसके अलावा भी तीन ऐसे हथियार हैं जिनके आगे दुश्‍मन का बच पाना पूरी तरह से नामुमकिन है।

    अपने इन तीन हथियारों की वजह से अमेरिका बन गया है और घातक

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। मौजूदा समय में ज्‍यादातर देश अपनी सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इनमें जहां उत्तर कोरिया शामिल है वहीं रूस और चीन भी हैं, जिसने इस वर्ष में स्‍वदेश निर्मित फाइटर जेट, अत्‍याधुनिक और सबसे घातक सबमरीन, विमानवाहक युद्धपोत को सेना में शामिल किया है। भारत ने भी इस वर्ष अपनी सुरक्षा में काफी कुछ इजाफा किया है। इनके अलावा चीन ने इस वर्ष कई घातक मिसाइलों का भी परीक्षण किया है। लेकिन अमेरिका की यदि बात करें तो इन सभी में वह बहुत आगे है। पिछले सात माह के अंदर ही अमेरिका ने जिन तीन हथियारों का निर्माण कर सफल प‍रीक्षण किया है वह इतने घातक हैं कि इनकी जद में आने वाली कोई भी चीज बच नहीं सकती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शक्तिशाली लेजर हथियार (लॉज)

    पिछले ही दिनों अमेरिकी नौसेना ने फारस की खाड़ी में दुनिया के सबसे शक्तिशाली लेजर हथियार (लॉज) का सफल परीक्षण किया है। इसके निर्माण पर करीब 260 करोड़ रुपये का खर्च आया है। वहीं इससे छोड़ी जाने वाली लेजर किरणों पर हर बार महज 65 रुपये या एक डॉलर का खर्च आता है। प्रकाश की गति से लेजर किरणों को छोड़ने वाला यह हथियार पलभर में ड्रोन विमान को खत्‍म करने की ताकत रखता है। इसकी खासियत यह है कि इसके आगे बैलिस्टिक मिसाइलें भी कुछ नहीं हैं। एक अमेरिकी वेबसाइट के मुताबिक ‘लॉज’ हवा के साथ-साथ जमीन और समुद्री सतह पर मौजूद लक्ष्यों को भी निशाना बनाने में सक्षम है। यह अंतरमहाद्विपीय बैलेस्टिक मिसाइलों से 50 हजार गुना तेज रफ्तार से लेजर किरणें छोड़ता है। अमेरिकी नौसेना ने अपने यूएसएस पोंस जहाज पर इसकी तैनाती की है। ‘लॉज’ से निकलने वाली लेजर किरणें बुलेट से ज्यादा सटीक और गंभीर वार करती हैं। इनका तापमान कई हजार डिग्री सेल्सियस होता है।

    पल भर में खाक हुआ ड्रोन

    परीक्षण के दौरान इन्हें जिस ड्रोन पर दागा गया, वह पल भर में धूं-धूं कर जल उठा। दुश्मन देशों के विमानों और जहाजों के लिए ‘लॉज’ के हमले से बच पाना आसान नहीं होगा। इससे निकलने वाली लेजर किरणें विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम के अदृश्य क्षेत्र में आती हैं, लिहाज इन्हें देखना मुश्किल होता है। इतना ही नहीं इसमें किसी तरह का शोर नहीं होता है। इसकी वजह से दुश्‍मन को इसकी भनक भी नहीं लग पाती है। ‘लॉज’ के संचालन के लिए तीन विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। यह हथियार लेजर किरणें छोड़ने के लिए बिजली पर निर्भर है। बिजली उत्पादन के लिए इसमें एक छोटा जनरेटर लगाया गया है।

    हाइपरसोनिक मिसाइल

    इसी माह अमेरिका ने अपनी हाईपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल ध्‍वनि से भी कहीं तेज गति से चलती है। इसकी पहुंच में आने से न तो कोई दुश्‍मन बच सकता है और न ही इसकी मार से अछूता रह सकता है। यह मिसाइल अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया ने संयुक्‍त रूप से बनाई है। इस मिसाइल का सफल परीक्षण ऑस्‍ट्रेलिया के वूमेरा से किया गया। यह मिसाइल छह हजार मील/प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकती है। इसकी खासियत यह है कि यह मिसाइल बेहद कम समय में दुश्‍मन पर इतना सटीक हमला करती है कि उसको संभलने का मौका ही नहीं मिलता। ऑस्‍ट्रेलिया डिफेंस साइंस एंड टेक्‍नॉलिजी ने बकायदा इस मिसाइल परीक्षण का एक वीडियो भी जारी किया है।

    आठ वर्षों से चल रहा था मिसाइल पर काम

    ऑस्‍टेलिया और अमेरिका इस मिसाइल पर वर्ष 2009 से ही काम कर रहे थे। फिलहाल इस मिसाइल का परीक्षण स्‍क्रेमजेट इंजन के साथ किया गया है, जो पूरी तरह से सफल रहा है। इस इंजन की बदौलत ही इस मिसाइल को इतनी तेज रफ्तार भी मिल पाती है। मौजूदा समय में नॉर्थ कोरिया से बढ़ते तनाव को देखते हुए यह मिसाइल परीक्षण काफी अहम है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि हवाई द्वीप जो नॉर्थ कोरिया से बेहद कम दूरी पर स्थित है, वहां से नार्थ कोरिया पहुंचने में इस मिसाइल को महज 40 मिनट ही लगेंगे। वहीं इतनी दूरी पूरी करने में बी-2 बमवर्षक विमान करीब नौ घंटे का समय लेता है। इसका निशाना इतना अचूक है कि इसकी जद से दुश्‍मन का निकल पाना नामुमकिन है।

    चीन और रूस भी कर रहे हैं तैयारी

    हालांकि चीन और रूस इसी तरह की हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम कर रहे हैं। चीन अपनी DF-ZF मिसाइल की स्‍पीड को 5 मैक से 10 मैक करने पर काम कर रहा है। इसको लेकर वह अब तक सात बार परीक्षण भी कर चुका है। पिछले वर्ष ही अप्रैल 2016 में उसने इसका परीक्षण किया था। वहीं रूस अपनी Yu-71 मिसाइल को लेकर काफी संजीदा है। यह मिसाइल भी हाइपरसोनिक है। इसके अलावा वह RS-18 मिसाइल, जोकि एक अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल है, पर काम कर रहा है। इसको वह 10 मैक की स्‍पीड तक ले जाना चाहता है। इसका परीक्षण भी रूस ने पिछले वर्ष अक्‍टूबर में किया था।

    इलैक्‍ट्रोमैगनेटिक पल्‍स वैपन सिस्‍टम

    इलैक्‍ट्रोमैगनेटिक पल्‍स वैपन सिस्‍टम को अमेरिका अपनी वायु सेना समेत नौसेना में शामिल कर चुका है। यह वैपन भविष्‍य में युद्ध की तस्‍वीर को पूरी तरह से बदल कर रख देगा। दरअसल, यह वैपन सेना और सरकार की मदद के लिए साबित होने वाली उन तमान चीजों को बेकार कर देता है, जिनसे जानकारी लेकर वह आगे का फैसला करते हैं या अपनी रणनीति बनाते हैं। ईएमपी वैपन सिस्‍टम वास्‍तव में सेना और सरकार की मदद कर रहे कंप्‍यूटर के लिए घातक साबित होता है। यह हवा में रहते हुए ही उन तमाम सिस्‍टम को पूरी तरह से नाकाम बना देता है जो सेना और सरकार की रणनीति बनाने में सहायक साबित हो सकते हैं। इसको यदि दूसरे शब्‍दों में कहा जाए तो कंप्‍यूटर के नाकाम हो जाने के बाद सैटेलाइट से इनका कनेक्‍शन खत्‍म हो जाता है।

    इस वैपन से कुछ खास इमारतों को टारगेट किया जाता है और फिर यह वैपन उसके ऊपर से गुजरता हुआ एक मैगनेटिक फील्‍ड बनाता है। इसके सहारे एक करंट छोड़ा जाता है जिससे इमारत में रखे सभी इलैक्‍ट्रॉनिक सिस्‍टम जिसमें कंप्‍यूटर भी शामिल होता है, काम करना बंद कर देता है। अमेरिका की बोइंग कंपनी इस सिस्‍टम पर काम कर रही है। इसकी वजह से खबरों और जानकारियों का आदान-प्रदान पूरी तरह से बाधित हो जाता है। इसका सबसे घातक परिणाम यह होता है कि सैटेलाइट से कनेक्‍शन टूट जाने की वजह से सीमा पर चौकसी कर रही सेना का संपर्क भी एक-दूसरे से टूट जाएगा। ऐसे में न तो किसी फैसले की जानकारी सुरक्षाबलों तक पहुंचाई जा सकेगी और न ही उनका कोई आपात संदेश ही आ सकेगा। यह किसी भी देश के लिए सबसे घातक होगा। ऐसे वक्‍त में कोई भी देश अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह से विफल हो जाएगा और उस वक्‍त यदि उस पर हमला होता है तो वह कुछ नहीं कर पाएगा। अमेरिका की युद्ध रणनीति का यह सबसे घातक हथियार है।

     

    comedy show banner
    comedy show banner