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    पटना में छप रहे नकली डॉलर व यूरो

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    Updated: Thu, 26 Sep 2013 01:18 AM (IST)

    पटना और बिहार के कई जिला मुख्यालयों में फर्जी स्टांप, नकली नोट, डॉलर और यूरो का बाजार विकसित कर हर महीने सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की चपत लगाई जा रही थी। इसका खुलासा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के खजनी थानांतर्गत उसरी गांव निवासी सरगना रंजीत और उसके गिरोह के 15 सदस्यों की ि

    जागरण संवाददाता, पटना। पटना और बिहार के कई जिला मुख्यालयों में फर्जी स्टांप, नकली नोट, डॉलर और यूरो का बाजार विकसित कर हर महीने सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की चपत लगाई जा रही थी। इसका खुलासा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के खजनी थानांतर्गत उसरी गांव निवासी सरगना रंजीत और उसके गिरोह के 15 सदस्यों की गिरफ्तारी से हुआ है। इन्हें मंगलवार की रात पटना के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार किया गया था।

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    पकड़े गए गिरोह के पास से भारी मात्रा में नकली स्टांप पेपर, नॉन ज्यूडिशियल स्टांप, डाक टिकट, एनएससी सर्टिफिकेट, नकली भारतीय मुद्रा, डॉलर, यूरो और फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनकी कीमत सौ करोड़ रुपये से अधिक है।

    एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि रंजीत ने पटना को काले कारोबार का सेंटर बना रखा था। बहादुरपुर और रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र में उसने जाली दस्तावेज व नकली नोट की छपाई करने की मशीन लगा रखी थी। बहादुरपुर में उसने मिनी ऑफ सेट व रामकृष्णा नगर के खेमनीचक के आदर्श नगर रोड पर स्थित संजय यादव के मकान में ऑफसेट प्रेस लगा रखा थी। नकली नोट, यूरो, डाक टिकट आदि की छपाई ऑफसेट पर होती थी, जबकि जाली स्टांप पेपर मिनी ऑफसेट व स्क्रीन प्रिंटिंग से तैयार किए जाते थे।

    कंप्यूटर के कमाल से धंधेबाज ओरिजनल दस्तावेज की निगेटिव बना लेते थे, जिसके आधार पर छपाई की जाती है। ओरिजनल से मिलती-जुलती गुणवत्ता की कागज और इंक का इस्तेमाल किया जाता था, ताकि वे खुली आंखों से परखे नहीं जा सकें। रंजीत के कारिंदे राज्य के कई मुख्यालयों सहित उत्तर प्रदेश व झारखंड में हैं, जो जाली दस्तावेज की सप्लाई कर भारतीय अर्थ-व्यवस्था की कमर तोड़ रहे थे।

    एसएसपी के अनुसार पूछताछ में रंजीत ने बताया कि नकली नोट छापने की डाई उत्तर प्रदेश से लाई जाती थी। वहीं छपाई में प्रयुक्त कागज और इंक छत्तीसगढ़ से मंगवाया जाता हथा। वह एक महीने में लगभग 50 करोड़ रुपये का कारोबार करता था।

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