वोल्कर रिपोर्ट में कांग्रेस का भी था नाम
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह ने शनिवार को भी कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह आसानी से भूल गई है कि वोल्कर की रिपोर्ट ...और पढ़ें

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह ने शनिवार को भी कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह आसानी से भूल गई है कि वोल्कर की रिपोर्ट में बिना करार लाभ पाने वाले के रूप में उसका भी नाम है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की टिप्पणी का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, 'सिंघवी यह सुविधाजनक ढंग से भूल गए हैं कि वोल्कर की रिपोर्ट में भ्रष्ट तरीके से लाभान्वित के रूप में कांग्रेस पार्टी का भी नाम है। इससे पहले शुक्रवार को सिंघवी ने कहा था कि संप्रग की पहली सरकार और कांग्रेस ने नटवर सिंह को पहले मंत्री पद और बाद में कांग्रेस कार्यसमिति से इस्तीफा देने को कहकर स्पष्ट रूप सक सिद्धांत से समझौता न करने वाला फैसला लिया था। सरकार और पार्टी दोनों के पास संयुक्त राष्ट्र के इराक के लिए 'तेल के बदले अनाज' कार्यक्रम में अनियमितताओं की वोल्कर समिति की कथित जांच के अत्यंत गंभीर निष्कर्षो का गंभीर संज्ञान लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। सिंघवी ने यह भी कहा कि 27 अक्टूबर 2005 को आई वोल्कर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि नटवर सिंह के परिवार ने तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में भ्रष्टाचार करके लाभ कमाया। सिंघवी ने यह भी टिप्पणी की थी कि सोनिया गांधी के खिलाफ नटवर के दावे का मकसद अपनी किताब के लिए प्रचार पाना है। इसे बकवास करार देते हुए नटवर सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सिंघवी जैसे व्यक्ति से मैं इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद नहीं करता कि मैं ऐसा प्रचार के लिए कर रहा हूं। मेरी किताब बिक रही है और मैं उन्हें यह नहीं कह सकता कि वे किताब न बेचें। मैं जानता हूं कि सिंघवी ऐसा ( हमला) सोनिया गांधी को खुश करने के लिए कर रहे हैं।
प्रभाकरन को फांसी देना चाहते थे जयवर्धने
पूर्व कांग्रेसी नेता नटवर सिंह का कहना है कि 1986 में श्रीलंका के राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने ने भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कहा था कि वह प्रभाकरन को उन्हें सौंप दें, जिससे वह उसे जाफना में फांसी दे सकें। दोनों नेता उस समय सार्क सम्मेलन के लिए बेंगलूर में थे।
राजीव गांधी कैबिनेट के सदस्य रहे नटवर सिंह ने अपनी किताब 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' में लिखा है कि भारत सरकार ने श्रीलंका के पुराने विवाद को खत्म करने के लिए प्रभाकरन को दिल्ली बुलाया था। नटवर लिखते हैं, 'हमने जयवर्धने से प्रभाकरन की मौजूदगी की बात छिपाई थी लेकिन किसी तरह उन्हें इसका पता चल गया।' प्रभाकरन ने 1976 में एलटीटीई की स्थापना की थी। 2009 में श्रीलंका सेना ने उसे मार दिया था।
अय्यर ने की नटवर की आलोचना
कैबिनेट की स्वीकृति और बगैर किसी मकसद के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा श्रीलंका में सेना भेजने के नटवर सिंह के आरोप की कांग्रेस के सांसद मणिशंकर अय्यर ने आलोचना करते हुए कहा है कि नटवर सिंह तब सिर्फ राज्यमंत्री थे। हो सकता है कि तब उन्हें बहुत सारी चीजों की जानकारी नहीं हो। भारतीय शांति रक्षक बल (आइपीकेएफ) को श्रीलंका भेजने का फैसला राजीव गांधी ने श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के आग्रह पर लिया था। जयवर्धने को डर था कि उनके खिलाफ उसी शाम विद्रोह हो सकता है।

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