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    स्टिंग में फंसे तृणमूल सांसदों के खिलाफ बढ़ी जांच

    By anand rajEdited By:
    Updated: Thu, 14 Apr 2016 08:45 PM (IST)

    भ्रष्टाचार के एक स्टिंग में फंसे तृणमूल सांसदों के खिलाफ संसदीय जांच तेज गति से बढ़ने लगी है। लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बनी एथिक्स कमेटी ने स्टिंग में उलझे सांसदों से स्पष्टीकरण मांगा है।

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के एक स्टिंग में फंसे तृणमूल सांसदों के खिलाफ संसदीय जांच तेज गति से बढ़ने लगी है। लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बनी एथिक्स कमेटी ने स्टिंग में उलझे सांसदों से स्पष्टीकरण मांगा है। स्टिंग करने वाली मीडिया नारद से पहले ही कमेटी ने पूछताछ कर ली है। माना जा रहा है कि कमेटी बहुत दिन तक इस मामले को खींचना नहीं चाहती है। बहरहाल यह भी लगभग तय है कि पश्चिम बंगाल चुनाव खत्म होने से पहले कोई रिपोर्ट मुश्किल है।

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    यह भी पढ़ें - नारद स्टिंग मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने 3 सदस्यीय टीम का किया गठन

    गौरतलब है कि एक महीने पहले एक स्टिंग में तृणमूल के पांच वरिष्ठ लोकसभा सांसदों और इसी पार्टी के एक राज्यसभा सांसद को किसी फर्जी कंपनी से रिश्वत लेते दिखाया गया था। इसमें पूर्व मंत्री सौगत राय, सुल्तान अहमद, काकोली घोष दस्तीकार, सुवेंदु अधिकारी और प्रसून बनर्जी शामिल थे। राज्यसभा से तृणमूल सांसद मुकुल राय को भी रिश्वत लेते दिखाया गया था।

    एथिक्स कमेटी ने मांगा आरोपी पांच सांसदों से स्पष्टीकरण

    बजट सत्र के पूर्वा‌र्द्ध में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी जांच एथिक्स कमेटी की सौंप दी थी। बताते हैं कि इस बीच कमेटी ने नारद मीडिया से स्टिंग की प्रामाणिकता और अन्य मुद्दों पर सफाई मांगी थी। नारद अपनी पर बात पर अडिग है। सूत्र बताते हैं कि अब आरोपी सांसदों से कहा गया है कि वह अपना पक्ष रखें ताकि आगे की कार्रवाई हो सके।

    पहले जा चुकी है लगभग एक दर्जन लोगों की सदस्यता

    बताते हैं कि आरोप सिद्ध हो गए तो इन सांसदों की सदस्यता जाना लगभग तय है। ध्यान रहे कि ऐसे ही एक मामले में पहले भी लगभग एक दर्जन सांसदों को जाना पड़ा था। इस मामले में हालांकि छिटपुट आरोपी सांसदों की ओर से टेप की सत्यता पर सवाल उठाया गया है लेकिन बहुत खुलकर खुद को निर्दोष ठहराने की बजाय चुप्पी ज्यादा दिखती रही है। पश्चिम बंगाल चुनाव में मुद्दा बने इस विषय पर भाजपा की ओर से सीबीआइ जांच की मांग की गई थी लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस मुद्दे पर भी चुप्पी ही रही थी।