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    कर्मचारियों को ईपीएफ अंशदान में राहत संभव

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Thu, 22 Jan 2015 03:13 PM (IST)

    केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के नियम बदलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए मौजूदा पांच दशक पुराने ईपीएफ कानून में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन विधेयक में सरकार को कर्मियों के अनिवार्य पीएफ अंशदान को कुछ मामलों में घटाने का अधिकार मिलेगा। केंद्र उनके इस अंशदान को

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    नई दिल्ली। केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के नियम बदलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए मौजूदा पांच दशक पुराने ईपीएफ कानून में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन विधेयक में सरकार को कर्मियों के अनिवार्य पीएफ अंशदान को कुछ मामलों में घटाने का अधिकार मिलेगा। केंद्र उनके इस अंशदान को मौजूदा 12 से घटाकर 10 प्रतिशत कर सकेगा। अभी कर्मियों को मूल वेतन का 12 फीसद ईपीएफ में देना पड़ता है।

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    कर्मचारी भविष्य निधि कानून में प्रस्तावित संशोधनों के तहत केंद्र कुछ विशेष मामलों में कर्मियों पर ईपीएफ में अनिवार्य अंशदान को घटा या पूरी तरह माफ कर सकेगा। इससे खासकर कम आय वाले कामगारों को राहत मिलेगी। वैसे, इस बारे में कोई फैसला विशेष श्रेणी के उद्योगों की वित्तीय स्थिति या अन्य हालात के आधार पर किया जाएगा।

    श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इन बदलावों का उद्देश्य ज्यादा लोगों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है। सरकार इन संशोधनों के साथ विधेयक को पेश करने से पहले श्रम मंत्रालय के सुझावों पर कुछ और बदलाव भी करेगी। श्रम मंत्रालय ने इस बारे में ईपीएफ विधेयक के मसौदे पर आम लोगों से 10 जनवरी तक विचार मांगे हैं। मंत्रालय को कई नियोक्ता व कर्मचारी संगठनों से ज्ञापन भी मिले हैं। इन सभी संशोधनों को शामिल करने के बाद बिल को संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। अभी नियोक्ता ईपीएफ कटौती में अपनी ओर से भी 12 फीसद योगदान करता है। उसका यह अंशदान पूर्ववत जारी रहेगा।

    मसौदा विधेयक में अनिवार्य पीएफ कटौती के लिए न्यूनतम कर्मचारी संख्या को घटाकर 10 करने का भी प्रस्ताव है। फिलहाल यह सीमा 20 या इससे ज्यादा कर्मचारियों की है। इस सीमा के घटने से ईपीएफओ के साथ 50 लाख कर्मचारी और जुड़ जाएंगे।

    इसके अलावा कर्मचारियों के वेतन से कटौती के बाद अंशदान को ईपीएफओ के पास जमा कराने में चूक पर जुर्माना राशि 10,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये करने का सुझाव दिया गया है। कानून के तहत अन्य तरह की चूक के मामले में यह जुर्माना 5,000 रुपये से बढ़ाकर 35,000 रुपये करने का प्रस्ताव है।