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    उत्तराखंड में सड़क संपर्क बहाल करने पर जोर

    By Edited By:
    Updated: Wed, 26 Jun 2013 09:16 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उत्तराखंड में बाढ़ के कारण बदहाल हुए सड़क नेटवर्क को बहाल करना बड़ी चुनौती बन रहा है। खराब मौसम के कारण जहां सड़कों को ठीक करने का काम प्रभावित हुआ है। वहीं, ताजा भूस्खलन ने बीते कुछ दिन में काम लायक बनाए गए मार्गो में भी मुश्किल खड़ी कर दी है। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सीमा सड़क संगठन [बीआरओ

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उत्तराखंड में बाढ़ के कारण बदहाल हुए सड़क नेटवर्क को बहाल करना बड़ी चुनौती बन रहा है। खराब मौसम के कारण जहां सड़कों को ठीक करने का काम प्रभावित हुआ है। वहीं, ताजा भूस्खलन ने बीते कुछ दिन में काम लायक बनाए गए मार्गो में भी मुश्किल खड़ी कर दी है। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सीमा सड़क संगठन [बीआरओ] महानिदेशक को तलब कर प्राथमिकता के आधार पर सभी अहम सड़क संपर्को को बहाल करने के लिए पूरी ताकत लगाने की ताकीद की है।

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    सूत्रों के मुताबिक सीमावर्ती उत्तराखंड में सड़क संपर्क को हुआ भारी नुकसान चिंता का सबब बन गया है। कई जगह पर सड़कों का बड़ा हिस्सा बाढ़ में बह चुका है। बाढ़ के वेग में ऋषिकेश-जोशीमठ-मान मार्ग पर इस्पात से बना लंबागढ़ पुल बह गया। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर भी बने लोहे के पुल को पानी बहा ले गया। सूबे में रक्षा मंत्रालय की निगरानी वाले इलाके में ही करीब 25,000 मीटर से अधिक हिस्सा भूस्खलन और टूट से प्रभावित हुआ है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मंगलवार को हुई बारिश के कारण ऋषिकेश-उत्तरकाशी मार्ग एक बार फिर बाधित हुआ था। वहीं, ऋषिकेश-बद्रीनाथ-जोशीमठ के बीच भी रास्ता भूस्खलन से बंद हो गया था। इसके कारण राहत बचाव कार्यो पर भी असर पड़ा। हालांकि, दोनों ही रास्तों को त्वरित कार्रवाई के बाद कुछ ही घंटों में बहाल कर दिया गया।

    रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बुधवार को बीआरओ महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एटी परनायक के साथ बैठक कर प्रगति की समीक्षा की। साथ ही जोर दिया कि उत्तराखंड में सड़क मार्ग को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए हर संभव उपाय किए जाएं। बीआरओ अपने विशेषज्ञों और संसाधनों के साथ पूरी ताकत से इस काम में जुटे। उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ के कारण रणनीतिक सड़क परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। हालांकि, सड़कों को बहाल करने में बीआरओ ने रात-दिन का अभियान शुरू किया है। इसके लिए 4,000 से ज्यादा सीमा सड़क संगठन के अमले के साथ मजदूर और मशीनों को उतारा गया है।

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