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    ग्यारह साल तक खिंच सकता है चुनावी वनवास

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    Updated: Fri, 04 Oct 2013 02:03 AM (IST)

    जब तक रहेगा समोसे में आलू तब तक रहेंगे बिहार में लालू का नारा एक दशक के लिए गुम हो सकता है। पांच साल के कारावास की सजा होने से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद 11 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए हैं। साथ ही उनकी सांसदी भी चली गई है। लालू के अस्त हुए राजनीतिक भविष्य को अब सिर्फ ऊंची अदालत का सहारा है। हाई को

    नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। 'जब तक रहेगा समोसे में आलू तब तक रहेंगे बिहार में लालू' का नारा एक दशक के लिए गुम हो सकता है। पांच साल के कारावास की सजा होने से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद 11 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए हैं। साथ ही उनकी सांसदी भी चली गई है।

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    पढ़ें : लालू यादव को मिली 5 साल की सजा, जज के सामने गिड़गिड़ाए और कहा.

    लालू के अस्त हुए राजनीतिक भविष्य को अब सिर्फ ऊंची अदालत का सहारा है। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट अगर सजा के साथ उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा देता है या उन्हें बरी कर दिया जाता है तो वह चुनाव लड़ सकेंगे। लेकिन, सजा के कारण चली गई सांसदी नहीं लौटेगी। दागी नेताओं को बचाने वाला कानून रद होने के बाद अयोग्यता की श्रेणी में आए लालू पहले लोकसभा सदस्य हैं। उनके साथ लोकसभा के जदयू सांसद जगदीश शर्मा भी अयोग्य हो चुके हैं। इससे पहले अयोग्य होने वाले रशीद मसूद राज्यसभा सदस्य थे।

    सजा और अयोग्यता से जुड़ी जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 कहती है कि अदालत से दोषी ठहराया गया सदस्य सजा पूरी कर जेल से बाहर आने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने के अयोग्य होगा। छह साल की यह अवधि सुनाई गई सजा की अवधि के साथ जोड़ कर देखी जाए तो लालू कुल 11 साल के लिए अयोग्य हो गए हैं।

    क्या हैं विकल्प

    अब लालू के पास उच्च न्यायालय में अपील का विकल्प है। अगर वे अपील के साथ अर्जी देकर सजा और दोषसिद्धि दोनों पर रोक लगाने की गुहार लगाते हैं और अदालत दोनों पर रोक लगा देती है तो वह अपील के दौरान चुनाव लड़ सकेंगे। भाजपा सांसद नवजोत सिद्धू के मामले में भी यही हुआ था। अगर हाई कोर्ट उन्हें बरी कर देता है तो फैसले की तिथि से उनकी अयोग्यता समाप्त हो जाएगी, लेकिन सांसदी नहीं लौटेगी।

    एक स्थिति और बनती है कि अगर हाईकोर्ट अपील पर सुनवाई के दौरान लालू को जमानत देता है तो वे जेल से बाहर आ जाएंगे। यानी जेल काटने की अवधि वहीं रुक जाएगी। इसके बाद अपील में अगर हाईकोर्ट उनकी सजा पर मुहर लगा देता है तो लालू को आगे की सजा भुगतने के लिए फिर जेल जाना होगा और सजा की गिनती उसके बाद शुरू होगी जो कि उनकी अयोग्यता की अवधि को बदल सकती है। अगर मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां भी यही फार्मूला लागू होगा।

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