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    कोयला ब्लॉक आवंटन से महंगी होगी बिजली

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Wed, 29 Oct 2014 09:04 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद कोयला ब्लॉकों का नए सिरे से आवंटन करने की प्रक्रिया आम जनता को काफी महंगी पड़ सकती है

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    नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो । सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद कोयला ब्लॉकों का नए सिरे से आवंटन करने की प्रक्रिया आम जनता को काफी महंगी पड़ सकती है। पहले ही कोल ब्लॉक आवंटन में हो चुकी देरी, ब्लॉक मिलने के बाद इसके विकास व खनन की लागत में बढ़ोतरी, कंपनियों पर बकाया कर्ज का बढ़ता बोझ बिजली उत्पादन की लागत बढ़ाएंगे। इसकी भरपायी अंततः आम जनता की जेब से ही की जाएगी।

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    निजी क्षेत्र की करीब ढाई दर्जन बिजली कंपनियों ने सरकार को बिजली की दरों में असमान बढ़ोतरी के खतरे से आगाह किया है। पिछले दिनों निजी बिजली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने बिजली मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी। इस दौरान उनके सामने बिजली क्षेत्र की मौजूदा हालात का पूरा हिसाब-किताब पेश किया। बिजली कंपनियों ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर जारी अनिश्चितता को खत्म करने के लिए अध्यादेश लाने के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही यह भी कहा कि पूरी प्रक्रिया में बिजली की बढ़ती हुई लागत की भरपायी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसका साफ मतलब है कि बिजली कंपनियों को बढ़ी हुई लागत ग्राहकों से ही वसूलनी होगी। इनकी तरफ से बिजली मंत्रालय से यह आग्रह किया गया कि रद ब्लॉकों से जिन कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा है उनकी क्षतिपूर्ति करने पर शीघ्रता से फैसला करे।

    वर्ष 1993 के बाद से आवंटित सभी कोयला ब्लॉकों को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश की 30 निजी बिजली कंपनियों पर बुरा असर पड़ा है। इससे पूरी होने के करीब पहुंच चुकीं 20 हजार मेगावॉट क्षमता की बिजली परियोजनाएं लटक गई हैं। इनमें 1,21,000 करोड़ रुपये का निवेश भी हो चुका है। ये परियोजनाएं अगले दो वर्षों के भीतर बिजली उत्पादन शुरू करने वाली थीं। इनसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश को बिजली मिलनी है। अब इन परियोजनाओं को जो ब्लॉक मिले थे, वह छिन चुके हैं और इनकी नए सिरे से नीलामी होगी। कंपनियों को खुली नीलामी में फिर हिस्सा लेना होगा। यह भी पता नहीं है कि इन परियोजनाओं को देश के किस हिस्से में ब्लॉक मिलेगा। साफ है कि इनकी लागत बढ़ जाएगी।

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