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    ललित मोदी पर कसा शिकंजा, जांच को सिंगापुर पहुंचा ED

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Tue, 30 Jun 2015 11:30 AM (IST)

    ललित मोदी मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज और राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम सामने आने के बाद एनडीए सरकार ने पहली बार बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को अनुरोध पत्र (एलआर) के साथ सिंगापुर भेजा है।

    नई दिल्ली। ललित मोदी मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम सामने आने के बाद एनडीए सरकार ने पहली बार बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को अनुरोध पत्र (एलआर) के साथ सिंगापुर भेजा है।

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    एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार, ईडी दो साल तक इस मामले में कोई खास कदम नहीं उठा रही थी। 2013 में ब्रिटेन द्वारा एलआर मांगने के बाद भी ईडी ने उसे नहीं भेजा। नतीजतन 2010 में भारत सरकार द्वारा पासपोर्ट रद किए जाने के बाद भी ललित मोदी ब्रिटेन में ही रहे। नया एलआर इसी हफ्ते भेजा जा सकता है।

    एलआर भारतीय कोर्ट द्वारा विदेश मंत्रालय के जरिये विदेशी अदालत को मदद के लिए भेजा गया पत्र होता है। सोमवार को ईडी ने दो एलआर भेजे हैं। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत एक एलआर सिंगापुर और एक मॉरीशस को भेजा गया है।

    ये एलआर आइपीएल के प्रसारण अधिकार से संबंधित है जिस पर मार्च 2009 में ललित मोदी ने सोनी की सिंगापुर स्थित सहायक कंपनी मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) और वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) के साथ करार किया था। एलआर में ईडी ने दोनों कंपनियों के बैंक खातों के लेन-देन की जानकारी मांगी है। ईडी इनकी जांच कर इन कंपनियों के ललित मोदी से संबंध के बारे में पता लगाना चाहती है।

    2009 में एमएसएम को आइपीएल का प्रसारण अधिकार 470 करोड़ रुपये में दिए थे और मोदी ने पिछले दरवाजे से डब्ल्यूएसजी से समझौता किया, जिसमें एमएसएम ने डब्ल्यूएसजी को 125 करोड़ रुपये का भुगतान किया।ईडी के मुताबिक, इस लेन-देन में मोदी को 125 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।

    एमएसएम किस्तों में भुगतान कर रही थी और जून 2009 तक उसने डब्ल्यूएसजी को 125 करोड़ रुपये दे दिए थे। इस मामले में बीसीसीआई को गारंटर बनाया गया था। मोदी ने कथित रूप से बीसीसीआई को इस बारे में कुछ नहीं बताया। पीएमएलए के तहत जांच के आधार पर मोदी के प्रत्यर्पण के लिए रेड कॉर्नर इंटरपोल नोटिस जारी किया जा सकता है।

    फरवरी, 2015 में ईडी ने इस लेन-देन की जानकारी आरबीआइ को न दिए जाने के कारण फेमा के तहत ललित मोदी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

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